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डोईवाला के पब्लिक इंटर कॉलेज में यूनिफॉर्म अपूर्ण पहनकर आई छात्राओं को प्रिंसिपल ने 1000 उठक-बैठक की सजा दे दी। लगातार व्यायाम से कई छात्राएं बेहोश होकर गिर पड़ीं। अभिभावकों ने पहुंचकर जमकर हंगामा किया और शिक्षा विभाग से कार्रवाई की मांग की।
प्रिंसिपल की सजा से बेहोश हुई छात्राएं
Dehradun: देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में स्थित पब्लिक इंटर कॉलेज में शुक्रवार सुबह उस समय हंगामा मच गया जब यूनिफॉर्म पूरी न पहनकर आईं छात्राओं को प्रिंसिपल द्वारा कड़ी सजा दे दी गई। आरोप है कि स्कूल प्रधानाचार्य ने छात्राओं को 1000 उठक-बैठक लगाने का आदेश दिया। सजा शुरू होते ही कई छात्राएं कुछ ही मिनटों में बेहोश होकर गिर पड़ीं। यह घटनाक्रम देखते ही स्कूल में अफरा-तफरी मच गई।
शुक्रवार को निर्धारित हाउस ड्रेस में कुछ छात्राएं स्कूल पहुंचीं, लेकिन उनका यूनिफॉर्म ‘पूरी तरह सही’ न होने पर उन्हें प्रिंसिपल ने सख्त फटकार लगाई। इसके कुछ ही देर बाद उन्हें 1000 उठक-बैठक लगाने का आदेश दे दिया गया।
छात्राएं इतनी बड़ी संख्या में व्यायाम नहीं कर पाईं और कई छात्राएं चक्कर आने के बाद जमीन पर गिर गईं। स्कूल स्टाफ उन्हें संभालने से पहले ही कुछ छात्राएं पूरी तरह बेहोश हो चुकी थीं।
घटना की जानकारी मिलते ही अभिभावक स्कूल पहुंच गए और उन्होंने प्रिंसिपल के खिलाफ तीखी नाराजगी जाहिर की। परिजनों ने कहा, पहले कभी स्कूल में इस तरह की कठोर सजा नहीं दी जाती थी। बच्चों पर इतना दबाव डालना बिल्कुल गलत है। शिक्षक शिक्षा देने के लिए होते हैं, अत्यधिक दंड देने के लिए नहीं। अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि यह मामला शिक्षा विभाग तक पहुंचाया जाएगा।
पीड़ित पिता
स्थानीय लोगों के अनुसार पब्लिक इंटर कॉलेज डोईवाला एक पुराना संस्थान है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां अनुशासन और सख्ती को लेकर कई बार विवाद उठे हैं। छात्रों और अभिभावकों के बीच इस घटना के बाद फिर से असंतोष दिखाई दिया।
शिक्षा नियमों के अनुसार छात्रों को दंड दिया जा सकता है, लेकिन किसी भी स्थिति में ऐसा दंड नहीं दिया जा सकता जो उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जोखिम बन जाए।
1000 उठक-बैठक जैसी सजा जहां शारीरिक रूप से अत्यधिक होती है, वहीं नाबालिग छात्राओं के लिए यह बिल्कुल अनुचित मानी जाती है। अभिभावकों ने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म अपूर्ण होने पर चेतावनी दी जा सकती थी, लेकिन इतनी कड़ी शारीरिक सजा देना अमानवीय व्यवहार है।