

उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली के नाम से प्रदेश में आठ अगस्त को पुरस्कार वितरित किया जाता है।
वीरांगना तीलू रौतेली
देहरादून: राज्य में वीर बाला तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग ने राज्य की महिलाओं से आवेदन मांगे है। सभी इच्छुक और योग्य महिलाएं 6 जुलाई की शाम पांच बजे तक विभाग की वेबसाइट (www.wecduk.in) के माध्यम से आवेदन कर सकती हैं।
जानकारी के अनुसार राज्य के 13 जिलों से अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कार्य करने वाली 13 महिलाओं को वीर बाला तीलू रौतेली पुरस्कार से नवाजा जाता है। इसमें विजेता को 51 हजार रुपये की पुरस्कार राशि इनाम में दी जाती है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की निदेशक रंजना राजगुरू ने बताया कि तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए राज्य के सभी 13 जिलों से 13 महिलाओं का चयन किया जाएगा। प्रत्येक विजेता को 51 हजार रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी। यह पुरस्कार शिक्षा, सामाजिक कार्य, रूढ़िवाद उन्मूलन, मीडिया, खेल, पर्यावरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है।
वीरांगना तीलू रौतेली
इसी तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुरस्कार के लिए 35 परियोजनाओं का चयन किया जाएगा, जिसके तहत प्रत्येक श्रेष्ठ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 51 हजार रुपये की धनराशि से सम्मानित किया जाएगा।
चयन प्रक्रिया और मानदंड
चयन प्रक्रिया में जिला और राज्य स्तर पर गठित समितियां शामिल होंगी। आवेदकों को आवश्यक दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करने होंगे, जिनका सत्यापन संबंधित बाल विकास परियोजना अधिकारी और सुपरवाइजर करेंगे।
बता दें कि पुरस्कारों का वितरण हर साल आठ अगस्त को वीरांगना तीलू रौतेली के जन्म दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में किया जाएगा। इन पुरस्कारों के माध्यम से राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाली महिलाओं का सम्मान और उत्साहवर्धन किया जाता है।
पुरस्कार से संबंधित विस्तृत जानकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। जिन परियोजनाओं से एक बार चयन हो चुका है, वे अगले दो वर्षों तक आवेदन नहीं कर सकेंगी।
तीलू रौतेली विश्व की एकलौती वीरांगना हुईं, जिन्होंने अकेले सात युद्ध लड़े। इनकी अदम्य शौर्य गाथा के चलते इन्हें 'उत्तराखंड की रानी लक्ष्मीबाई' कहा गया। उनका जन्म पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उनके पिता का नाम भूपसिंह रावत और माता का नाम मैणावती था। तीलू के दो भाई थे, जिनके नाम भगतु और पथ्वा थे। तीलू के बचपन का नाम तिलोत्तमा था।
प्यार से लोग इन्हें तीलू बुलाते थे। तीलू के पिता गढ़वाल नरेश की सेना में थे और इन्हें गढ़वाल के राजा ने गुराड गांव की थोकदारी भी दी थी। उस समय पहाड़ों पर बाल विवाह का प्रचलन था। यही वजह रही कि तीलू का विवाह महज 15 साल की उम्र में इड़ा गांव के भवानी सिंह नेगी के साथ कर दिया गया।
उन्होंने 15 साल की उम्र में अपने गुरु शिबू पोखरियाल से घुड़सवारी और तलवारबाजी सीख ली थी।