सीएम धामी ने “The Emergency Diaries” को लेकर साझा किए अपने विचार, कहा- जीवंत दस्तावेज़ है ये पुस्तक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “The Emergency Diaries” को लेकर कई अच्छी बातें कही और युवाओं से इसे पढ़ने की अपील की।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 28 June 2025, 12:02 PM IST
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हरिद्वार: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संघर्ष और नेतृत्व यात्रा पर आधारित पुस्तक “The Emergency Diaries: Years That Forged a Leader” को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक ऐसा जीवंत दस्तावेज़ है जो भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे कठिन दौर – आपातकाल – को सजीव रूप से चित्रित करता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कुछ किताबें केवल पढ़ने के लिए नहीं होतीं, उन्हें अनुभव किया जाता है। यह पुस्तक उन्हीं में से एक है, जो न केवल ऐतिहासिक सच्चाई को उजागर करती है, बल्कि एक महान नेता के उद्भव की यात्रा को भी समझने का प्रयास करती है।

आपातकाल पर क्या बोले सीएम धामी
सीएम धामी ने कहा कि 1975 के आपातकाल का दौर भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा प्रहार था। उस समय देश का युवा वर्ग, जिसमें नरेंद्र मोदी भी शामिल थे, ने निडरता और सिद्धांतों के साथ अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष किया। यह पुस्तक उनके उसी संघर्ष को दस्तावेजों और अनुभवों के माध्यम से सामने लाती है।

विचारों की मशाल है यह पुस्तकः धामी
धामी ने कहा कि यह पुस्तक बताती है कि किस प्रकार विचारों की मशाल को अंधकार में भी बुझने नहीं दिया गया। कैसे युवाओं ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने कैरियर, परिवार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता तक को दांव पर लगा दिया। प्रधानमंत्री मोदी का उस समय का समर्पण, अनुशासन और राष्ट्रनिष्ठा ही आज उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ नेताओं में स्थान दिलाती है।

सीएम ने युवाओं से की ये अपील
धामी ने आगे कहा कि पुस्तक में वर्णित संस्मरण, घटनाएं और तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियां न केवल पाठकों को विचारशील बनाती हैं, बल्कि उन्हें यह भी सिखाती हैं कि नेतृत्व का निर्माण संघर्ष की आग में तप कर होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुख्यमंत्री ने युवाओं से अपील की कि वे इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें और उससे प्रेरणा लें।

“The Emergency Diaries” न केवल आपातकाल के विरुद्ध एक विचारशील दस्तावेज़ है, बल्कि यह बताती है कि जब देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर संकट आता है, तो विचार और संकल्प ही सबसे बड़ी शक्ति बनते हैं।

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