

महराजगंज जिले में साखू की लकड़ी की तस्करी का मामला फिर चर्चा में है। केवलापुर वन क्षेत्र में सड़क किनारे कीमती लकड़ी मिलने से विभाग में हड़कंप मच गया है। वन दरोगा के मौके पर पहुंचने के बाद लकड़ी जब्त कर केवलापुर कोठी में रखवाई गई। जानिए पूरी खबर
तस्करों से बरामद लक़ड़ी
Maharajganj: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में वन तस्करी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार सुबह लगभग 5 बजे, केवलापुर वन क्षेत्र में सड़क किनारे साखू की लकड़ी का एक बड़ा टुकड़ा मिलने से सनसनी फैल गई। यह लकड़ी नवडिहवा वन कोठी क्षेत्र के अंतर्गत आती है, और इसका इस प्रकार से सड़क किनारे पड़ा होना वन माफियाओं की सक्रियता की ओर इशारा करता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि लकड़ी सुबह से ही उसी स्थान पर पड़ी थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इसे कौन लाया या कहां से काटकर लाया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्र में अक्सर साखू और शीशम के पेड़ों की अवैध कटाई होती रहती है। वन तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत हो चुका है कि वे रात के अंधेरे में लकड़ियां काटकर उन्हें ट्रकों या बैलगाड़ियों के ज़रिए ले जाते हैं।
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मामले की जानकारी मिलते ही वन दरोगा अशोक पासवान टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने मीडिया को बताया हमें इस घटना की कोई जानकारी नहीं थी। जैसे ही सूचना मिली, हम तत्काल मौके पर पहुंचे और लकड़ी को जब्त कर लिया।
वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए लकड़ी को केवलापुर वन कोठी में सुरक्षित रखवाया। विभाग ने इस बात की पुष्टि की कि लकड़ी हाल ही में काटी गई थी, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि यह घटना ताजा तस्करी की है।
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महराजगंज का केवलापुर क्षेत्र, नवडिहवा वन कोठी सहित कई इलाके घने जंगलों से घिरे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन माफिया रात के अंधेरे में साखू, शीशम जैसे कीमती पेड़ों की कटाई करते हैं। इन पेड़ों की लकड़ी न केवल देश के अन्य हिस्सों में, बल्कि नेपाल सीमा के पार भी तस्करी के लिए भेजी जाती है।
ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग की गश्त केवल कागज़ों तक सीमित है। जंगलों में रात के समय कोई निगरानी नहीं होती, जिससे तस्करों को आसानी होती है। स्थानीय निवासी राजेश यादव ने कहा कि अगर वन विभाग गंभीर होता, तो इतनी भारी लकड़ी सड़क किनारे नहीं मिलती। ये तस्करी खुली आंखों से हो रही है।