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गोरखपुर महिला अस्पताल में एक नवजात को लेकर मां की मजबूरी सामने आई है। पति के लापता होने और आर्थिक तंगी के कारण मां ने पहले बच्चे को दूध पिलाने से इनकार कर दिया। डॉक्टरों की काउंसलिंग के बाद मां अपने नवजात को अपनाने के लिए तैयार हुई।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
Gorakhpur: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के महिला अस्पताल में एक भावनात्मक और संवेदनशील मामला सामने आया है, जहां पांच दिनों से भर्ती एक नवजात बच्चे को उसकी मां ने पहले दूध पिलाने से इनकार कर दिया। मां का कहना था कि वह बच्चे का पालन-पोषण करने की स्थिति में नहीं है। हालांकि डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों की काउंसलिंग के बाद आखिरकार मां बच्चे को दूध पिलाने के लिए राजी हो गई।
यह मामला दरभंगा जिले की रहने वाली फरजाना परवीन से जुड़ा है। फरजाना रविवार को ट्रेन से दरभंगा से दिल्ली की यात्रा पर निकली थी। यात्रा के दौरान जब ट्रेन गोरखपुर पहुंची, तभी उसे अचानक तेज प्रसव पीड़ा होने लगी। स्टेशन पर मौजूद जीआरपी (Government Railway Police) ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तत्परता दिखाई और मानवता का परिचय देते हुए महिला को तुरंत जिला महिला अस्पताल पहुंचाया।
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अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों की निगरानी में रात करीब 11 बजे फरजाना ने एक बच्चे को जन्म दिया। हालांकि जन्म लेते ही नवजात की स्थिति गंभीर हो गई। डॉक्टरों के अनुसार बच्चे की हार्टबीट और सांस लेने की गति सामान्य से काफी धीमी थी। हालात को देखते हुए नवजात को तुरंत बच्चों के गहन चिकित्सा कक्ष (NICU) में भर्ती कर दिया गया।
फिलहाल नवजात का इलाज डॉक्टरों की निगरानी में जारी है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक बच्चे की स्थिति स्थिर तो है, लेकिन अभी भी पूरी तरह खतरे से बाहर नहीं है। डॉक्टर लगातार उसकी सांस, हार्टबीट और अन्य जरूरी मेडिकल पैरामीटर पर नजर रखे हुए हैं।
बच्चे के जन्म के बाद फरजाना ने उसे स्तनपान कराने से इनकार कर दिया। जब डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने इसकी वजह पूछी तो उसने अपनी निजी जिंदगी की दर्दनाक कहानी बताई। फरजाना ने बताया कि उसके माता-पिता का पहले ही निधन हो चुका है और वह पूरी तरह अकेली है।
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फरजाना के अनुसार उसकी शादी को एक साल भी पूरा नहीं हुआ था कि उसका पति किसी दूसरी महिला के चक्कर में पड़कर घर छोड़कर चला गया। पिछले छह महीनों से उसका कोई पता नहीं है। न तो वह आर्थिक मदद कर रहा है और न ही किसी तरह का संपर्क है। ऐसे में फरजाना का कहना था कि वह मानसिक और आर्थिक रूप से इतनी कमजोर है कि नवजात का पालन-पोषण नहीं कर सकती।
महिला अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने फरजाना को लगातार समझाया। उन्होंने मां और बच्चे के रिश्ते की अहमियत बताई और नवजात की सेहत के लिए मां के दूध की जरूरत पर जोर दिया। कई घंटों की काउंसलिंग के बाद फरजाना भावुक हो गई और आखिरकार अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए तैयार हो गई।