मॉब लिंचिंग पर यूपी सरकार का कड़ा रुख: अब आरोप तय करने से पहले होगी सख्त जांच और मासिक निगरानी

उत्तर प्रदेश सरकार ने मॉब लिंचिंग जैसे गंभीर और संवेदनशील मामलों में कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए नई दिशा में सख्त कदम उठाया है। गृह विभाग ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मॉब लिंचिंग के मामलों की समीक्षा मासिक रूप से की जाए और इसकी रिपोर्ट नियमित तौर पर शासन को भेजी जाए।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 20 July 2025, 3:38 PM IST
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Lucknow: उत्तर प्रदेश सरकार ने मॉब लिंचिंग जैसे गंभीर और संवेदनशील मामलों में कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए नई दिशा में सख्त कदम उठाया है। गृह विभाग ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मॉब लिंचिंग के मामलों की समीक्षा मासिक रूप से की जाए और इसकी रिपोर्ट नियमित तौर पर शासन को भेजी जाए। इसके साथ ही नए निर्देशों के तहत अब हर केस में कार्रवाई से पहले ठोस साक्ष्य और वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी।

 हर भीड़ हत्या मॉब लिंचिंग नहीं

सरकार ने साफ किया है कि अब हर भीड़ से जुड़ी हत्या को मॉब लिंचिंग की धारा में दर्ज करना अनिवार्य नहीं होगा। अगर मामला पारिवारिक विवाद, भूमि विवाद या डकैती के दौरान हिंसा से जुड़ा है, तो उसे मॉब लिंचिंग का रूप देने से बचा जाएगा। यह निर्णय उन फर्जी मुकदमों या भावनात्मक माहौल में दर्ज मामलों को रोकने के लिए लिया गया है, जिनका दूरगामी सामाजिक और कानूनी असर होता है।

 सख्त सजा, लेकिन विवेक से होगी कार्रवाई

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(2) के तहत यदि पांच या अधिक लोग जाति, धर्म, भाषा, विश्वास या जन्म स्थान जैसे आधारों पर हत्या करते हैं, तो उसे मॉब लिंचिंग माना जाएगा और सजा मृत्यु दंड या आजीवन कारावास तक हो सकती है। लेकिन अब सरकार का जोर इस बात पर है कि इस कड़ी सजा का उपयोग केवल स्पष्ट और पुख्ता मामलों में ही किया जाए।

 हर जिले में नोडल अधिकारी और संवेदनशील इलाकों की पहचान

अब हर जिले में मॉब लिंचिंग से जुड़े मामलों के लिए एएसपी रैंक के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। यह नोडल अधिकारी मामलों की निगरानी करेगा और जांच प्रक्रिया की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा। साथ ही, ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की जाएगी जहां इस तरह की घटनाओं की आशंका अधिक होती है, ताकि पहले से सतर्कता बरती जा सके।

 क्या है मॉब लिंचिंग?

मॉब लिंचिंग वह स्थिति होती है जब एक भीड़ किसी व्यक्ति को बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए सज़ा देने लगती है, चाहे वह व्यक्ति दोषी हो या नहीं। यह सामाजिक हिंसा का वह रूप है जो अफवाहों, धार्मिक उन्माद, या सांप्रदायिक तनाव के चलते तेजी से भड़कती है। पहलू खान हत्याकांड इसका एक प्रमुख उदाहरण रहा है, जिसमें तथाकथित गौ-रक्षकों ने एक निर्दोष की जान ले ली थी।

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