

कानपुर और लखनऊ के बीच सफर करने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। रैपिड रेल परियोजना को मिली मंजूरी। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़िए रैपिड रेल परियोजना की पूरी जानकारी।
रैपिड रेल (सोर्स-इंटरनेट)
लखनऊ: कानपुर और लखनऊ के बीच सफर करने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। लंबे समय से प्रतीक्षित लखनऊ-कानपुर रैपिड रेल परियोजना को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने बुधवार को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) दे दिया है। इससे पहले कानपुर और उन्नाव विकास प्राधिकरण भी अपनी मंजूरी दे चुके हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस अहम कदम के बाद अब इस परियोजना के निर्माण कार्य में तेजी आने की संभावना है। इस हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर को 'नमो कॉरिडोर' नाम दिया गया है और इसे मेरठ-दिल्ली रैपिड रेल की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
इन रूटों पर दौडेंगी रैपिड रेल
यह रूट अमौसी एयरपोर्ट से शुरू होकर बनी, उन्नाव, जैतीपुर, अजगैन और मगरवारा होते हुए कानपुर के गंगा बैराज तक जाएगा। भविष्य में इसे लखनऊ और कानपुर के मेट्रो स्टेशनों से भी जोड़ा जाएगा, जिससे आवागमन और भी सुगम हो जाएगा।
परियोजना की खासियत
परियोजना की सबसे खास बात यह है कि इस रूट को सड़क और रेलमार्ग के साथ-साथ विकसित किया जाएगा, ताकि कोहरा या बारिश जैसे खराब मौसम के बावजूद ट्रेन की गति प्रभावित न हो। फिलहाल लखनऊ से कानपुर तक सड़क मार्ग से जाने में करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है, लेकिन रैपिड रेल आधे से भी कम समय में यह दूरी तय कर लेगी। इस ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
इस परियोजना के पूरा होने से क्षेत्रीय व्यापार, शिक्षा और रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। साथ ही सड़क यातायात का दबाव कम होगा और वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी। इस परियोजना से न सिर्फ लोगों की सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि इसे हरित और सतत विकास की दिशा में भी बड़ा कदम माना जा रहा है।
परियोजना का लक्ष्य मंजूरी
इस परियोजना का विचार सबसे पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने वर्ष 2015 में प्रस्तुत किया था। वर्ष 2021 में तत्कालीन मुख्य सचिव दीपक कुमार ने इसका प्रारूप तैयार करवाया और वर्ष 2022 में शासन स्तर पर इस पर कई महत्वपूर्ण बैठकें भी हुईं। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण इसमें थोड़ी देरी हुई, लेकिन अब फिर से गति पकड़ते हुए इस परियोजना को अगले पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इन शर्त पर मिली
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने इस शर्त पर एनओसी दी है कि परियोजना मास्टर प्लान के अनुरूप होनी चाहिए और इसका कोई उल्लंघन नहीं होना चाहिए। अब जब सभी संबंधित प्राधिकरणों की मंजूरी मिल गई है, तो उम्मीद है कि परियोजना जल्द ही धरातल पर आ जाएगी और लखनऊ और कानपुर के बीच यात्रा का अनुभव पूरी तरह बदल जाएगा।