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यूपी के कफ सिरप कांड में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज करते हुए 6 राज्यों में 25 ठिकानों पर छापेमारी की। कोडीन सिरप की अवैध सप्लाई से जुड़े दो आरोपी गिरफ्तार हुए हैं जबकि एक फरार है। ईडी को छापेमारी में कई संदिग्ध वित्तीय दस्तावेज मिले हैं।
यूपी का कफ सिरप कांड
Lucknow: यूपी में चर्चित कफ सिरप कांड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार सुबह बड़ा अभियान शुरू किया। मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल की जांच में जुटी ईडी ने एक साथ कई शहरों में 25 ठिकानों पर छापेमारी की। कार्रवाई लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर, सहारनपुर, अहमदाबाद और रांची में संचालित सिरप सिंडीकेट के नेटवर्क पर की गई। ईडी की टीमों ने लखनऊ में मामले के मुख्य आरोपी आलोक सिंह के ठिकानों पर भी तलाशी ली।
कफ सिरप कांड का खुलासा 11 अक्टूबर को तब हुआ जब लखनऊ के कृष्णानगर क्षेत्र में बड़ी मात्रा में कोडीन युक्त सिरप, टैबलेट, कैप्सूल और इंजेक्शन बरामद किए गए। यह दवाइयाँ प्रतिबंधित श्रेणी में आती हैं जिनका उपयोग नशे के तौर पर भी किया जाता है। औषधि विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने जब दीपक मानवानी के घर पर छापा मारा तो वहां से सैकड़ों लीटर कफ सिरप और नशीली दवाएं बरामद की गईं। पुलिस ने तुरंत दीपक को गिरफ्तार कर लिया और जांच शुरू की।
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गुरुवार को कृष्णानगर पुलिस ने लंबे पीछा करने के बाद बैकुंठ धाम वीआईपी रोड से सूरज मिश्र और उसके साथी प्रीतम सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
कौन हैं आरोपी?
• सूरज मिश्र: मूल रूप से सीतापुर के अटरिया सदनपुर का रहने वाला। लखनऊ में "न्यू मंगलम आयुर्वेदिक" नाम से दवा एजेंसी चलाता है। उस पर आरोप है कि वह अवैध रूप से कोडीन युक्त सिरप मेडिकल होलसेलरों से खरीदकर सप्लाई करता था।
• प्रीतम सिंह: मूल रूप से बहराइच के बाड़ी राजा का निवासी। लखनऊ के पुरनिया इलाके में एक फैमिली रेस्टोरेंट में काम करता है लेकिन पुलिस के अनुसार वह सिरप वितरण के नेटवर्क में सक्रिय रूप से शामिल था।
ईडी ने जब छापेमारी शुरू की तो उसका मुख्य लक्ष्य इस रैकेट से कमाए गए अवैध धन को ट्रैक करना था। सूत्रों के मुताबिक, यूपी और गुजरात में इस नेटवर्क के जरिए हर महीने लाखों रुपये का नशे का कारोबार चलता था।
• कोडीन सिरप किस तरह मेडिकल कंपनियों से बाहर निकाला जाता था?
• किन लोगों के माध्यम से इसकी सप्लाई होती थी?
• अवैध कमाई को कहां और कैसे निवेश किया जा रहा था?
• क्या इस नेटवर्क के तार किसी बड़े सिंडीकेट से जुड़े हैं?
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कोडीन युक्त सिरप का दुरुपयोग आमतौर पर नशे के लिए किया जाता है। युवाओं में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध और सस्ता पड़ता है। इसी वजह से सिंडीकेट इसे मेडिकल कंपनियों से अवैध रूप से निकालकर बाजार में ऊंची कीमत पर बेचता है। पिछले दो वर्षों में लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर और पश्चिमी यूपी में ऐसे कई रैकेट पकड़े जा चुके हैं।
ईडी, यूपी एसटीएफ, स्थानीय पुलिस और औषधि विभाग एक साथ इस नेटवर्क पर काम कर रहे हैं। यह पहली बार है जब ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का एंगल जोड़कर कार्रवाई की है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियाँ संभव हैं। कई मेडिकल डिस्ट्रीब्यूटर्स और सप्लाई चैन से जुड़े कारोबारियों से भी पूछताछ की जाएगी।