

लखीमपुर खीरी जनपद में पानी का ओवरहेड टैंक अचानक ही फट गया, जिसके चलते इलाके के चारों तरफ पानी-पानी हो गया। पूरा मामला जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़
पानी का टैंक (सोर्स- इंटरनेट)
लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी के ब्लॉक ईशानगर अंतर्गत गांव शेखपुर में बना पानी का टैंक अचानक फट गया। गनीमत यह रही की उस दौरान आसपास कोई नहीं था, वरना बड़ी घटना घटित हो सकती थी। लेकिन टैंक फटने से आसपास पूरा पानी फैल गया तो वहीं नीचे लगे सोलर पैनल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया।
3 करोड़ से अधिक लागत में बना था टैंक
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ब्लॉक ईशानगर अंतर्गत शेखपुर गांव में 3.54 करोड़ की लागत से बना ओवरहेड टैंक अचानक फट गया। टैंक फटने से नीचे लगे सोलर पैनल पूरी तरह टूट गए तो वहीं पास में लगी फसल भी जलमग्न हो गई।
टैंक बनाने में इस्तेमाल हुई बेकार सामग्री
ग्रामीणों की माने तो इस ओवरहेड टैंक निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, जिसके चलते टैंक एक साल में ही फट गया। डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार टैंक के नीचे काम कर रहे मजदूर दोपहर में खाना खाने के लिए घर गए थे उसी दौरान यह टैंक फट गया जिससे कोई मजदूर उसकी चपेट में नही आया।
जिलाधिकारी ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने के दिए निर्देश
जल जीवन मिशन के तहत बनी पानी की टंकी फटने की घटना का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने तत्काल तीन सदस्यीय वरिष्ठ अधिकारियों की टीम गठित कर दी है। टीम से 3 दिन के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
साल 2022 में बना था टैंक
घटना को लेकर कहा जा रहा है कि इस टैंक का निर्माण साल 2022 के अक्टूबर महीने मं हुआ था। ठेकेदार ने अफरा तफरी के माहौल मे टंकी का निर्माण किया और जल्द ही सप्लाई शुरू कर दिया। बता दें कि इस पानी का सप्लाई शेखपुर सुल्तानापुर संडौराखुर्द सहित पांच गांवों में होता था।
टैंक की होगी जांच
जल निगम के अधिशाषी अभियंता वाईके नीरज ने घटना को लेकर कहा कि पानी का टैंक छह महीने में फट गया, जिसके चलते इसकी जांच कराई जाएगी। वहीं, इस पानी के टैंक की जिम्मेदारी नहीं ली गई थी इसलिए संस्था को दोबारा कार्य करना होगा।
कार्यदाही संस्था ने हैंडओवर करने का बनाया दबाव
दूसरी ओर, घटना को लेकर ग्राम प्रधान ने कहा कि कार्यदायी संस्था बार-बार लोगों पर पानी की टंकी का हैंडओवर लेने का कह रही थी, लेकिन टैंक कार्य पूरा ना होने के चलते कोई भी इसकी जिम्मेदारी नही ले रहा था। जिस चलते कार्यदाही संस्था लोगों का सामना नहीं कर पा रही थी और ना ही जवाब दे रही थी।