

सुलतानपुर में विकास के नाम पर लगाई जा रही हाई मार्क लाइटों में घटिया गुणवत्ता और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आ रही हैं। लाइटें जल्दी खराब हो रही हैं और कार्यदायी संस्थाएं बिना निगरानी के काम कर रही हैं। डीआरडीए के माध्यम से दिए गए ठेके में भी कोई जांच प्रणाली नहीं है।
लाइटों में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश
Sultanpur: जनपद सुलतानपुर में विकास के नाम पर लगाई जा रही हाई मार्क लाइटें और स्ट्रीट लाइटें अब सवालों के घेरे में आ चुकी हैं। जिले की पांचों विधानसभा और एक लोकसभा क्षेत्र में माननीय जनप्रतिनिधियों द्वारा लगवाई जा रही इन लाइटों में भ्रष्टाचार और घटिया क्वालिटी की समस्याएं बढ़ गई हैं। आम जनता की शिकायतें सामने आ रही हैं कि इन लाइटों में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है। कई स्थानों पर ये लाइटें महज 15 से 20 दिन में खराब हो जा रही हैं और कुछ तो मुश्किल से चार से पांच महीने तक भी चल नहीं पा रही हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि यह सिर्फ एक क्षेत्र या एक माननीय का मामला नहीं है, बल्कि जिले के लगभग सभी माननीयों के द्वारा लगाई गई लाइटों में गड़बड़ियां पाई जा रही हैं। जनता का कहना है कि इन लाइटों का उद्देश्य सिर्फ विकास के नाम पर पैसे की लूट करना है।
जिन संस्थाओं को लाइटों की सप्लाई और इंस्टॉलेशन का काम सौंपा गया है, वे बिना किसी स्थायी दफ्तर और निगरानी के काम कर रही हैं। इन संस्थाओं का स्थानीय स्तर पर कोई कर्मचारी या अधिकारी नहीं है, जो कार्यों की गुणवत्ता की जांच कर सके। सवाल यह उठता है कि जब इन संस्थाओं का कोई ठोस ढांचा नहीं है, तो इतनी बड़ी संख्या में ठेके कैसे दिए जा रहे हैं?
जनप्रतिनिधियों के नाम का दुरुपयोग करते हुए कार्यदायी संस्थाएं घटिया गुणवत्ता की लाइटें लगा रही हैं। इन लाइटों की खराब क्वालिटी के कारण जनता को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है। ग्राम प्रधानों ने कुछ स्थानों पर लाइटों की मरम्मत करवाई है, लेकिन यह सिर्फ अस्थायी समाधान है और दीर्घकालिक प्रभावी नहीं है।
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सुलतानपुर में यह सारे कार्य डीआरडीए (District Rural Development Agency) के माध्यम से ठेके पर दिए जा रहे हैं, लेकिन इन ठेकों की निगरानी का कोई प्रभावी तंत्र नहीं है। अगर इन लाइटों की तकनीकी जांच कराई जाए, तो कई संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।
इस मुद्दे पर जब संबंधित अधिकारियों से बात की गई, तो उनका कहना था, "यह माननीय का मामला है, मैं इसमें कुछ नहीं कह सकता।" स्थानीय लोग अब इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि घटिया लाइटों को हटाकर उच्च गुणवत्ता की लाइटें लगाई जाएं। इसके साथ ही, जो संस्थाएं खराब कार्य कर रही हैं, उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाए ताकि भविष्य में ऐसा काम न हो।