

उत्तर प्रदेश सरकार का महत्वाकांक्षी “संपूर्ण समाधान दिवस” जनता की समस्याओं के त्वरित निदान का मंच माना जाता है, लेकिन महराजगंज में आयोजित इस कार्यक्रम में अधिकारियों की लापरवाही ने इसकी साख पर सवाल उठा दिए।
समाधान दिवस पर फोन चलाते अधिकारी
Maharajganj: उत्तर प्रदेश सरकार का महत्वाकांक्षी "संपूर्ण समाधान दिवस" जनता की समस्याओं के त्वरित निदान का मंच माना जाता है, लेकिन महराजगंज में आयोजित इस कार्यक्रम में अधिकारियों की लापरवाही ने इसकी साख पर सवाल उठा दिए। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने खुलासा किया कि श्रम प्रवर्तन विभाग, खंड शिक्षा अधिकारी नौतनवा, एसडीओ लक्ष्मीपुर और वन विभाग के अधिकारी शिकायतों का समाधान करने के बजाय मोबाइल पर फेसबुक चलाने में मशगूल थे। यह घटना न केवल प्रशासनिक अनुशासनहीनता को उजागर करती है, बल्कि जनता के प्रति अधिकारियों की उदासीनता को भी सामने लाती है।
लापरवाही का खुलासा
वायरल वीडियो में दिखा कि पीड़ित अपनी शिकायतें लेकर पहुंचे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मोबाइल स्क्रीन पर फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में व्यस्त रहे। यह दृश्य जनता के बीच आक्रोश का कारण बना, क्योंकि समाधान दिवस का मकसद ही त्वरित शिकायत निवारण है।
जिलाधिकारी की सख्ती
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब किया और अनुशासनहीनता के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने दोहराया कि जनता की समस्याओं के प्रति ऐसी लापरवाही अस्वीकार्य है।
प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल
यह घटना न केवल अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाती है, बल्कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की सफलता पर भी चिंता जताती है। जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाएं।
यह लापरवाही उस समय सामने आई, जब एक व्यक्ति ने अधिकारियों की हरकत को रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर साझा किया। वीडियो ने प्रशासन को आलोचना के कटघरे में खड़ा कर दिया। इस घटना ने साबित कर दिया कि योजनाओं की सफलता केवल कागजी नहीं, बल्कि अधिकारियों की निष्ठा और सक्रियता पर निर्भर करती है। जनता की शिकायतों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को और सख्त कदम उठाने होंगे।