

पारंपरिक बुनकरी कला को संजीवनी देने और बुनकरों को सम्मानित करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार की संत कबीर राज्य हथकरघा पुरस्कार योजना के अंतर्गत गोरखपुर में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। पढिए पूरी खबर
गोरखपुर: पारंपरिक बुनकरी कला को संजीवनी देने और बुनकरों को सम्मानित करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार की संत कबीर राज्य हथकरघा पुरस्कार योजना के अंतर्गत गोरखपुर में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अब जिलाधिकारी दीपक मीणा विजेताओं की अंतिम घोषणा करेंगे। जिले के बुनकर समाज में इसे लेकर भारी उत्साह और उत्सुकता का माहौल है।
54 सैम्पल्स का गहन परीक्षण
डीएम दीपक मीणा के निर्देश पर गठित समिति में एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट उत्कर्ष श्रीवास्तव और अपर एसडीएम सदर सुदीप तिवारी शामिल रहे। समिति ने वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु प्राप्त कुल 54 सैम्पल्स का गहन परीक्षण किया। इनमें से तीन सर्वश्रेष्ठ सैम्पल्स का चयन कर जिलाधिकारी को भेजा गया है। अब अंतिम फैसला डीएम करेंगे।
पारदर्शी प्रक्रिया से बुनकरों में भरोसा
पूरी प्रक्रिया में सहायक आयुक्त, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग राजकुमार और टेक्सटाइल इंस्पेक्टर चेत सिंह की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। आवेदन संकलन से लेकर परीक्षण तक इन अधिकारियों ने अहम सहयोग दिया। इस पारदर्शी प्रक्रिया से बुनकरों में भरोसा और उम्मीद दोनों बढ़े हैं।
राज्य स्तरीय पुरस्कार
संत कबीर राज्य हथकरघा पुरस्कार योजना के तहत परिक्षेत्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार दिए जाते हैं। परिक्षेत्र स्तर पर प्रथम पुरस्कार 20,000 रुपये, द्वितीय 15,000 रुपये और तृतीय 10,000 रुपये निर्धारित है। प्रत्येक परिक्षेत्र में तीन-तीन पुरस्कार दिए जाएंगे, जिससे प्रदेशभर में कुल 39 बुनकरों को सम्मान मिलेगा। वहीं राज्य स्तरीय चयन प्रमुख सचिव ,अपर मुख्य सचिव हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा।
मास्टर बुनकरों को भी आवेदन का अवसर
इस योजना में व्यक्तिगत बुनकरों के साथ-साथ डिजाइनर और मास्टर बुनकरों को भी आवेदन का अवसर दिया गया। यदि किसी ने संयुक्त आवेदन किया, तो उनके लिए अलग-अलग आवेदन-पत्र व सैम्पल संलग्न करना अनिवार्य था।
बुनकरी कला को नई पहचान
गोरखपुर की चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद बुनकरों की निगाहें अब जिलाधिकारी दीपक मीणा की घोषणा पर टिकी हैं। यह पुरस्कार न केवल बुनकरों को प्रोत्साहित करेगा बल्कि हथकरघा उद्योग में प्रतिस्पर्धा, गुणवत्ता सुधार और नवाचार को भी बढ़ावा देगा। साथ ही, पारंपरिक शिल्प और बुनकरी कला को नई पहचान मिलेगी।
बुनकर समाज का मानना है कि यह योजना उनकी मेहनत और कला को सम्मानित करने का सुनहरा अवसर है। अंतिम परिणाम आने के बाद गोरखपुर के बुनकरों की रचनात्मकता को प्रदेश स्तर पर एक नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद है।