

विद्यालयों के मर्जर को लेकर मैनपुरी में समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से विरोध जताया है, वह इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से और गर्मा सकता है। अब निगाहें सरकार की प्रतिक्रिया और समाजवादी पार्टी की अगली रणनीति पर टिकी हैं।
विद्यालयों के विलय पर भड़की समाजवादी पार्टी
Mainpuri News: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को मर्ज करने के फैसले के खिलाफ मैनपुरी में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, प्रदर्शन की अगुवाई क्षेत्रीय विधायक बृजेश कठेरिया ने की। जिन्होंने सरकार पर शिक्षा विरोधी मानसिकता अपनाने का आरोप लगाया।
छात्र सभा, महिला मोर्चा और कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन
जिला मुख्यालय पर हुए इस प्रदर्शन में समाजवादी छात्र सभा, समाजवादी महिला मोर्चा और अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने ‘शिक्षा बचाओ, स्कूल बचाओ’ जैसे नारे लगाते हुए सरकार के फैसले को गरीबों के बच्चों के साथ अन्याय बताया।
राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन
प्रदर्शन के अंत में समाजवादी पार्टी की ओर से राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। ज्ञापन में विद्यालयों के मर्ज होने से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव का उल्लेख करते हुए इस आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग की गई है।
विधायक बृजेश कठेरिया ने साधा सरकार पर निशाना
प्रदर्शन के दौरान सपा विधायक बृजेश कठेरिया ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा भाजपा सरकार की मंशा साफ है- वह गरीबों को शिक्षा से दूर करना चाहती है। गांव-गांव में शराब के ठेके खोले जा रहे हैं लेकिन स्कूल बंद किए जा रहे हैं। ये सरकार शिक्षा नहीं, केवल दिखावा चाहती है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी शिक्षा के अधिकार के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगी और अगर सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया, तो यह आंदोलन और तेज किया जाएगा।
शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जिन प्राथमिक विद्यालयों में 50 से कम छात्र हैं, उन्हें नजदीकी स्कूलों में विलय (मर्ज) किया जाएगा। इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार बताया गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में दूरी और संसाधनों की कमी को देखते हुए यह फैसला विवादों में आ गया है।
स्थानीय लोगों में भी असंतोष
प्रदर्शन के दौरान कई स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों ने भी हिस्सा लिया। उनका कहना था कि विद्यालय बंद होने से बच्चों को दूर गांवों में जाना पड़ेगा। जिससे खासकर छात्राओं की पढ़ाई बाधित होगी। ग्रामीणों ने भी सरकार से निर्णय को पुनः विचारने की मांग की है।