

फाइनेंशली बिल 2025 में प्रस्तावित पेंशन नियमों में बदलाव और लंबे समय से लंबित भत्तों के भुगतान को लेकर रायबरेली में सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने जोरदार विरोध जताया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
सेवानिवृत्त कर्मचारियों का प्रदर्शन
रायबरेली: केंद्र सरकार द्वारा फाइनेंशली बिल 2025 में प्रस्तावित पेंशन नियमों में बदलाव और लंबे समय से लंबित भत्तों के भुगतान को लेकर रायबरेली में सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने जोरदार विरोध जताया।
डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, सोमवार को सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन की जिला इकाई के बैनर तले पूर्व कर्मचारियों ने विकास भवन परिसर में धरना दिया और सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की।
इस दौरान, धरने में शामिल पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर पेंशनरों की समस्याओं की अनदेखी कर रही है और उनके अधिकारों का हनन कर रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 31 दिसंबर 2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनरों की पेंशन का पुनरीक्षण अब तक नहीं किया गया है, जो पूरी तरह अन्यायपूर्ण है।
इसके अलावा, पेंशनरों ने जुलाई 2024 से लागू किए गए 2 प्रतिशत महंगाई भत्ते (DA) को नाकाफी बताते हुए कहा कि यह बढ़ोतरी वर्तमान महंगाई दर को देखते हुए ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में बढ़ती महंगाई के बीच यह भत्ता पेंशनरों के लिए कोई राहत नहीं ला पा रहा है।
प्रदर्शन के दौरान पेंशनरों ने कोविड काल में रोके गए 18 महीनों के डीए/डीआर (महंगाई भत्ता/राहत) के भुगतान न किए जाने पर भी गहरी नाराजगी जताई। उनका कहना है कि यह उनका हक है, जिसे सरकार टालती आ रही है। इस देरी से पेंशनरों की आर्थिक स्थिति और भी जटिल होती जा रही है।
धरने के अंत में पेंशनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि उनकी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन तैयार किया गया है, जिसे संबंधित अधिकारियों के माध्यम से उच्च स्तर पर पहुंचाया जाएगा।
इस धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक, पूर्व शिक्षक, सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी और अन्य पेंशनधारी शामिल हुए।
बता दें कि सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स के महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए जीवनयापन की लागत के समायोजन के रूप में उन्हें महंगाई भत्ता देती है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में लगातार वृद्धि की आवश्यकता भी होती है ताकि उन्हें मंहगाई से निपटने में मदद मिल सके।
महंगाई भत्ते की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में होती है, इसीलिए महंगाई भत्ता कर्मचारी के मूल वेतन के आधार पर अलग-अलग होता है।