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बढ़ते प्रदूषण रायबरेली जनपद में पराली प्रबंधन पर रोक नहीं लग पा रही है। जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण है कि लगातार क्षेत्र में ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें रात के अंधेरे में पराली जलाई जा रही है। अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण एनजीटी के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
खेतों में जल रही पराली
Raebareli: देश में बढ़ते प्रदूषण के बावजूद भी रायबरेली जनपद में पराली प्रबंधन पर रोक नहीं लग पा रही है। जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण लगातार क्षेत्र में ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें रात के अंधेरे में पराली जलाई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि लालगंज तहसील क्षेत्र के आने वाले ब्लॉक सरेनी के डिघियाव और मलके गाँव के बीच करीब पांच से छह बीघा खेत में कई घंटे तक परली जलती रही। डायनामाइट संवाददाता के अनुसार यह केवल सरेनी क्षेत्र का ही बल्कि जनपद के विभिन्न तहसीलों में भी यही हाल है।
धान की फसल कट चुकी है। ज्यादातर कटाई बड़ी मशीनों के माध्यम से होती है जिसके बाद खेतों में काफी मात्रा में पराली जमा हो जाती है। जिसका कोई उपयोग न होने के कारण किसान उसे जला देते हैं और अपने खेत की सफाई कर देते हैं। इसके बाद गेहूं की बुवाई के लिए खेत को तैयार किया जाता है। लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण एनजीटी के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
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पराली जलाने से जहरीली गैसें (जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन) और कण हवा में फैलते हैं, जिससे स्मॉग (धुंध) बनता है और श्वसन संबंधी बीमारियाँ होती हैं। मिट्टी के सूक्ष्मजीव और पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे जमीन की पैदावार घट जाती है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाते हैं।
कृषि विभाग किसानों को पराली प्रबंधन की तकनीकों और मशीनों (जैसे हैप्पी सीडर, रोटावेटर) के उपयोग के लिए जागरूक करते हैं और सब्सिडी भी देते हैं। पराली प्रबंधन का मतलब फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों (पराली) को जलाने के बजाय उनका सही तरीके से उपयोग करना है, ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़े, वायु प्रदूषण कम हो और किसानों को आर्थिक लाभ भी मिले सके। सरकार द्वारा पराली जलाने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) पराली जलाने को एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या मानता है और इसे रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों (खासकर पंजाब, हरियाणा, यूपी) को सख्त निर्देश देता है, जिसमें कार्ययोजना बनाने, निगरानी तंत्र स्थापित करने (सैटेलाइट से), बायो-डीकंपोजर जैसे समाधानों को बढ़ावा देने और उल्लंघन करने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने (जैसे सरकारी खरीद पर रोक) तक के आदेश शामिल हैं, क्योंकि यह वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है, जिससे दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत की हवा खराब होती है।