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उत्तर प्रदेश के रायबरेली में अचानक उस वक्त अफरा तफरी मच गई, जब किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
रायबरेली में किसानों का विरोध प्रदर्शन
रायबरेली: हरचंदपुर क्षेत्र के राजामऊ रजबाहा की वर्षों से सफाई न होने और नहरों में पानी न आने से परेशान किसानों का गुस्सा आज फूट पड़ा। शुक्रवार को बड़ी संख्या में किसानों ने राजामऊ गांव स्थित पीपल के पुराने धार्मिक स्थल 'बड़े बाबा' के पास एकजुट होकर किसान पंचायत की। पंचायत में दलगत राजनीति से हटकर किसानों ने एक स्वर में प्रशासन को चेताया कि यदि दो दिन के भीतर रजबाहा की सफाई शुरू नहीं हुई तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, पंचायत के दौरान मौके से ही जिलाधिकारी रायबरेली को फोन कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल नायब तहसीलदार मंजरी सिंह व सिंचाई विभाग की टीम को मौके पर भेजा। अधिकारियों ने स्थलीय निरीक्षण करते हुए भरोसा दिया कि दो दिन के भीतर सफाई कार्य शुरू कराकर किसानों को सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराया जाएगा।
किसानों का कहना है कि क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाने वाली यह रजबाहा कई वर्षों से उपेक्षा का शिकार है। नहर में जलभराव, झाड़-झंखाड़, सिल्ट और कूड़ा जमा है, जिससे सैकड़ों किसानों की फसलें सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं। पंचायत में किसानों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे अब केवल आश्वासन नहीं लेंगे, यदि तय समय में कार्यवाही नहीं हुई तो तहसील और जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन होगा।
इस महत्वपूर्ण किसान पंचायत में जनपद के कई वरिष्ठ व सक्रिय जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें कोऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष एवं पूर्व जिलाध्यक्ष सुशील शर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष ल रामदेव पाल, जिला मीडिया प्रभारी विजय बाजपेयी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य दिनेश चिकन, पूर्व ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत सदस्य राम कुमार कोरी, मंडल अध्यक्ष भाजपा राम जी श्रीवास्तव, समाज तक मीडिया के ब्यूरो चीफ मनोज सिंह, होरीलाल कोरी, अमरदेव यादव, कृष्णनरेश सिंह, गोविंद नारायण द्विवेदी, रामू सिंह, श्याम त्रिपाठी, सर्वेंद्र सिंह, संतोष सिंह, अमीचंद्र, संदीप अवस्थी, विष्णुपद सिंह, अभिषेक गुप्ता, महेंद्र सिंह, हेमू सिंह, कल्लू सिंह सहित क्षेत्र के सैकड़ों किसान बंधु शामिल रहे।
जनप्रतिनिधियों ने कहा कि किसानों को बरगलाना बंद किया जाए और शासन स्तर से लेकर स्थानीय प्रशासन तक को यह समझना होगा कि यदि खेतों में पानी नहीं पहुंचा, तो अन्नदाता की कमर टूट जाएगी। यह केवल एक क्षेत्र की नहीं बल्कि पूरे विकासखंड हरचंदपुर की समस्या है। सभी ने एकजुटता का परिचय देते हुए दो टूक कहा कि अब बात सिर्फ रजबाहा की नहीं, बल्कि किसान सम्मान और अधिकार की है।