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आशा वर्कर्स यूनियन ने राज्यव्यापी अभियान के तहत जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री योगों आदित्यनाथ को 7 सूत्रीय मांग पत्र भेजा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
आशा वर्कर्स यूनियन का विरोध प्रदर्शन
रायबरेली: उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन ने राज्यव्यापी अभियान के तहत जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री योगों आदित्यनाथ को 7 सूत्रीय मांग पत्र भेजा है। मांग पत्र में बदायूं की एक आशा कर्मी की दर्दनाक घटना का मुद्दा प्रमुख है। 19 मई 2025 को बदायूं के सीएचसी जगत में कार्यरत आशा कर्मी का टीकाकरण के बाद लौटते समय अपहरण कर लिया गया। बाद में उनके साथ बलात्कार और हत्या कर दी गई।
मांग पत्र में आशा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पुलिस अधीक्षकों और जिलाधिकारियों को जवाबदेह बनाने की मांग भी शामिल है। साथ ही निजी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की भर्ती के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अनुमति अनिवार्य करने की मांग की गई है।
यूनियन ने वर्ष 2019 से मार्च 2022 तक की बकाया प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने की मांग की है। साथ ही वर्ष 2024-25 की समस्त बकाया राशि, राष्ट्रीय अभियानों में योगदान और राज्य द्वारा दी जाने वाली लंबित राशियों का तत्काल भुगतान करने की मांग की है।
मांग पत्र सौंपने के दौरान सुशीला, उर्मिला, सरिता, मिथलेश कुमारी के साथ ऐक्टू नेता विजय विद्रोही, गुलाम अहमद सिद्दीकी, नईम सहित कई भाकपा (माले) नेता मौजूद थे।
आशा वर्करों ने कहा कि 17 सालों से प्रोत्साहन राशि में इजाफा नहीं हुआ, जहां एक तरफ सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली तनख्वाह में छापा लगातार होता रहता है। वही हमारी तरफ से बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। सरकार सरकार को आशा वर्करों की तरफ ध्यान देना चाहिए, अगर सरकार ध्यान नहीं देगी तो आंदोलन करेंगे। सरकार के कान और आंख खोलने का काम आशा वर्कर करेंगे।
आशा वर्करों ने मांग करते हुए कहा कि सरकार को हम पर भी ध्यान देना चाहिए, जिस तरीके से हम अपनी जान की बाजी लगाकर काम करते हैं। वेतन के नाम पर सिर्फ नाम मात्र का पैसा मिलता है, निवेदन है कि सरकार इस पर ध्यान दें।