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रायबरेली के सदर एसडीएम ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रफुल्ल शर्मा के खिलाफ तानाशाही अपनाने की बात कहते हुए अधिवक्ताओं ने उनके बर्खास्तगी की मांग की है। भारी संख्या में एकजुट हुए सदर तहसील के अधिवक्ताओं ने सदर तहसील में जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी से कार्रवाई की मांग की है। पढिये यह खबर
अधिवक्ताओं का प्रदर्शन
रायबरेली: उत्तर प्रदेश के रायबरेली के सदर एसडीएम ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रफुल्ल शर्मा के खिलाफ तानाशाही अपनाने की बात कहते हुए अधिवक्ताओं ने उनके बर्खास्तगी की मांग की है। भारी संख्या में एकजुट हुए सदर तहसील के अधिवक्ताओं ने सदर तहसील में जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी से कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरी खबर?
जानकारी के मुताबिक, अधिवक्ता राजेश यादव ने बताया कि 3 साल पूर्व हमारे यहां चकबंदी प्रक्रिया पूरी हुई थी। उनके गांव पडेरा की गाटा संख्या 516 में चकबंदी प्रक्रिया के दौरान चकबंदी अधिकारियों द्वारा हमें इस डाटा पर विधिवत सीमांकन करके कब्जा दिया गया था। विपक्षी रामदेव पुत्र छोटे जो कि अनुसूचित जाति का व्यक्ति है जो जन बल में ज्यादा है और अपने पूरे परिवार के साथ हमे घेरने का प्रयास किया और कहा कि अगर जमीन के पास कभी आएंगे तो हमें मार डालेंगे। साथ ही मुझे एससी एसटी एक्ट और रेप के फर्जी मामले में फंसा देने की धमकी भी दे रहे हैं।
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अधिवक्ताओं ने सदर तहसील के सामने किया विरोध प्रदर्शन
अधिवक्ता शिवकुमार ने बताया कि बीते दिनों पीड़ित अधिवक्ता राजेश यादव जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरने पर भी बैठे थे। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई । उन्होंने कहा की अधिवक्ता राजेश यादव की जमीन पर किए जा रहे हैं अवैध कब्जे पर सुनवाई न होने को लेकर आज भारी संख्या में अधिवक्ताओं ने सदर तहसील के सामने विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि शासन के साथ निर्देशों की सदर तहसील के अधिकारी और कर्मचारी धज्जियां उड़ा रहे हैं। योगी सरकार द्वारा राजस्व मामलों में निस्तारण के लिए आदेश और निर्देशों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है।
सदर तहसील में कई बार शिकायत
अधिवक्ता राजेश यादव की जमीन पर कुछ लोग कब्जा कर रहे हैं। जिसको लेकर उन्होंने सदर तहसील में कई बार शिकायत की । लेकिन यहां से उन्हें थाने भेज दिया जाता है और थाने से उन्हें सदर तहसील। उनके साथी अधिवक्ता चक्कर काट-काट करके परेशान हो चुके हैं। लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया है। अधिवक्ताओं ने मांग की है की जिलाधिकारी गहनता से जांच करें और जो भी न्यायिक दृष्टि से उचित होता है उसे किया जाए।