

आगरा पुलिस ने एक बड़े अंतरराज्यीय धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश करते हुए मुख्य सरगना अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र पाल को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। आरोपी पर देशभर में सैकड़ों लोगों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। इस नेटवर्क की जड़ें छह राज्यों में फैली थीं और इसकी फंडिंग अमेरिका और कनाडा से हो रही थी। पुलिस ने गिरोह से जुड़े 10 अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है।
धर्मांतरण गैंग का सरगना अरेस्ट
Agra News: उत्तर प्रदेश की आगरा पुलिस ने देशभर में फैले एक बड़े धर्मांतरण सिंडिकेट को पकड़ने में बड़ी सफलता हासिल की है। गिरोह का मुख्य सरगना अब्दुल रहमान, जिसका असली नाम महेंद्र पाल जादौन है, को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। रहमान मूल रूप से फिरोजाबाद का रहने वाला है और उसने 1990 में पहले ईसाई और फिर मुस्लिम धर्म अपना लिया था।
पुलिस की छापेमारी और गिरफ्तारी
इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस ने छह राज्यों में अभियान चलाया। इसमें गोवा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल थे। कार्रवाई में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें गोवा की आयशा, जयपुर से मोहम्मद अली और कोलकाता से ओसामा जैसे नाम शामिल हैं।
कट्टरपंथी प्रचार का जाल
अब्दुल रहमान न केवल खुद धर्म परिवर्तन कर चुका था, बल्कि उसका पूरा परिवार भी कन्वर्टेड मुस्लिम है। उसकी पत्नी और बेटों की पत्नियां पहले हिंदू थीं। पुलिस को उसके घर से धर्मांतरण से जुड़ी सैकड़ों किताबें, नियमावली और इस्लामिक प्रचार सामग्री बरामद हुई हैं। इनमें से कई किताबें मौलाना कलीम सिद्दीकी द्वारा लिखी गई थीं, जिन्हें रहमान वितरित करता था।
ऑनलाइन प्रचार और युवतियों को निशाना
गिरोह का ऑनलाइन नेटवर्क भी काफी सक्रिय था। आयशा और मोहम्मद अली जैसे सहयोगी यूट्यूब चैनलों और पॉडकास्ट के माध्यम से इस्लामी कट्टरपंथ का प्रचार कर रहे थे। रहमान का नाम इन्हीं की पूछताछ के दौरान सामने आया। ओसामा नामक आरोपी युवतियों को "इस्लामी बहन" बनाने की ट्रेनिंग देता था।
लव जिहाद के जरिए धर्मांतरण
पूरे मामले का खुलासा उस समय हुआ, जब मार्च 2025 में आगरा की दो बहनें (33 और 18 साल) अचानक लापता हो गईं। जांच में पता चला कि उन्हें बहला-फुसलाकर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए ले जाया गया। एक बहन ने सोशल मीडिया पर हथियार के साथ अपनी तस्वीर पोस्ट की थी, जिससे मामले ने गंभीर रूप ले लिया।
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और साजिश
पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने बताया कि इस गिरोह को अमेरिका और कनाडा से फंडिंग मिल रही थी। गिरोह का उद्देश्य सिर्फ धर्मांतरण तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका लक्ष्य था भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना। गिरोह "लव जिहाद", नौकरी और पैसों का लालच देकर युवाओं, विशेषकर युवतियों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करता था। कन्वर्ट हुए लोगों को आर्थिक मदद, घर और सामाजिक सुरक्षा भी दी जाती थी।
DGP का बयान: ISIS जैसा मॉडल
पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने कहा कि गिरोह का ऑपरेशन मॉडल आईएसआईएस (ISIS) जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से मिलता-जुलता था। यह कार्रवाई "मिशन अस्मिता" के तहत की गई, जिसमें लव जिहाद, अवैध धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग पर नजर रखी जाती है।