हरदोई में भ्रष्टाचार का खुला खेल: अधूरे निर्माण का पूरा भुगतान, प्रधान और सचिव पर एफआईआर, पढ़ें कैसे हुआ घोटाला

हरदोई जिले की टोडरपुर ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का गंभीर मामला सामने आया है। लाखों रुपये की योजनाएं अधूरी पड़ी हैं, लेकिन सरकारी कागजों में भुगतान हो चुका है। बीडीओ की रिपोर्ट के आधार पर ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन भ्रष्टाचार में शामिल कंसलटेंट इंजीनियर पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिससे राजनीतिक दबाव की आशंका जताई जा रही है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 25 August 2025, 11:38 PM IST
google-preferred

Hardoi: हरदोई की टोडरपुर ग्राम पंचायत में विकास योजनाओं के नाम पर किए गए बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। पंचायत में अंत्येष्टि स्थल, RRC सेंटर और पंचायत लर्निंग सेंटर जैसे महत्वपूर्ण निर्माण कार्यों के लिए लाखों रुपये स्वीकृत किए गए, लेकिन मौके पर जांच में अधिकतर कार्य अधूरे या पूरी तरह बंद मिले। इस खुलासे के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

सरकारी धन के दुरुपयोग

इस मामले में सबसे अहम मोड़ तब आया जब खंड विकास अधिकारी (BDO) ने औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद बीडीओ की रिपोर्ट के आधार पर ग्राम प्रधान श्याम बाबू त्रिवेदी और ग्राम विकास अधिकारी कौशलेन्द्र राजपूत के खिलाफ बेहटा गोकुल थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। दोनों पर सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप है।

हरदोई वालों को सरकार का तोहफा: घर बैठे लोगों को मिलेगा रोजगार, जानें कैसे

जांच रिपोर्ट के अनुसार

अंत्येष्टि स्थल के लिए 24 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी कार्य शुरू नहीं हुआ। RRC सेंटर का निर्माण केवल नींव डालने तक सीमित रहा। पंचायत लर्निंग सेंटर के लिए स्वीकृत ₹7 लाख में से 90% खर्च दिखाया गया। जबकि भवन अधूरा और बदहाल मिला। वहां न बिजली थी, न फर्नीचर और न स्मार्ट टीवी जो खरीदने की रिपोर्ट दी गई थी।

सरकारी फंड में गबन

पंचायत भवन की हालत भी दयनीय पाई गई। भवन की दीवारें टूटी हुई। शौचालय जर्जर और परिसर में जलभराव जैसी समस्याएं सामने आई। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और सचिव ने मिलीभगत कर सरकारी फंड में गबन किया।

UP News: हरदोई में इन दिनों खाद की भारी किल्लत, दुकानों पर किसानों की भारी भीड़

हुआ काला कारनामा

निर्माण कार्यों की माप पुस्तिका (एमबी) तैयार करने वाले कंसल्टेंट इंजीनियर (CE) ने बिना भौतिक सत्यापन किए भुगतान पास कर दिया। जिससे करोड़ों रुपये की राशि जारी हो गई। हैरानी की बात यह है कि CE के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर नहीं की गई, जबकि उसकी भूमिका इस घोटाले में संदेह के घेरे में है।

राजनीतिक हस्तक्षेप का भी आरोप

सूत्रों के मुताबिक आरोपी ग्राम प्रधान ब्लॉक प्रमुख का देवर और प्रतिनिधि है। इसके अलावा वह प्रदेश सरकार की एक वरिष्ठ मंत्री का करीबी भी बताया जाता है, जिसके चलते राजनीतिक दबाव साफ नजर आ रहा है। अंदरखाने खबर है कि अब रसूखदार लोग अधूरे कार्य जल्दबाजी में पूरा करवाकर मामले को “एफआर” लगाकर बंद करवाने की कोशिश में जुटे हैं।

उठे सवालों का कौन देगा जवाब?

डीपीआरओ विनय कुमार सिंह से जब इस बाबत सवाल किया गया, तो उन्होंने जवाब देने से साफ इनकार कर दिया। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या प्रशासन सच में दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगा, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह राजनीतिक दबाव में दबा दिया जाएगा।

Location :