

महराजगंज के दयागीत हॉस्पिटल में ऑपरेशन के दौरान बरती गई लापरवाही ने नेपाल में कार्यरत इंजीनियर दिनेश कुशवाहा की जान ले ली। तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अस्पताल ने न तो सर्जिकल प्रोफाइल टेस्ट कराया और न ही मरीज को समय पर रेफर किया।
मृतक इंजीनियर (फाइल फोटो)
Maharajganj: महराजगंज के दयागीत हॉस्पिटल, चिउरहां में इलाज के नाम पर बरती गई लापरवाही अब गंभीर सवालों के घेरे में है। नेपाल में कार्यरत युवा इंजीनियर दिनेश कुशवाहा की मौत के मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर कर दिया है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार मुख्य चिकित्सा अधिकारी महराजगंज द्वारा अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण गोरखपुर मण्डल को भेजी गई रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि दिनेश कुशवाहा का ऑपरेशन एक इलेक्टिव लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन था। ऐसे मामलों में ऑपरेशन से पहले मरीज का सर्जिकल प्रोफाइल जांच अनिवार्य होता है, लेकिन दयागीत हॉस्पिटल ने यह जांच कराना जरूरी नहीं समझा। यह अस्पताल की पहली और सबसे बड़ी लापरवाही मानी जा रही है।
रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया है कि ऑपरेशन के दौरान और उसके बाद मरीज की स्थिति लगातार गंभीर होती चली गई। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन ने न तो किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की मदद ली और न ही समय रहते मरीज को किसी उच्चस्तरीय चिकित्सा संस्थान के लिए रेफर किया। जांच समिति ने इसे अस्पताल की घोर शिथिलता और चिकित्सीय मानकों का उल्लंघन करार दिया है।
गौरतलब है कि दिनेश कुशवाहा, पुत्र मदन कुशवाहा, महराजगंज के मूल निवासी थे और नेपाल में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। परिवार ने आरोप लगाया था कि ऑपरेशन के दौरान और बाद में लापरवाही बरती गई, जिसके कारण उनकी असमय मृत्यु हो गई। परिजनों ने न्याय की गुहार लगाते हुए इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों तक पहुंचाई थी।
इस शिकायत के आधार पर सीएमओ महराजगंज ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी, जिसमें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नवनाथ प्रसाद, डॉ. वीरेन्द्र आर्या और उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजेश द्विवेदी शामिल थे। समिति ने 27 सितंबर को अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट सौंपी और उसमें अस्पताल की गंभीर कमियों की पुष्टि की।
अब यह मामला और तूल पकड़ चुका है। परिजनों की मांग है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और लापरवाह अस्पताल के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने उच्च स्तरीय कार्रवाई के संकेत दिए हैं।