Maharajganj News: आजादी के नायक को नहीं मिला सम्मान, स्वतंत्रता सेनानी संतबली का परिवार आज भी पेंशन से वंचित

महराजगंज जिले के बांसपार बेजौली बाजार टोला निवासी स्वतंत्रता सेनानी संतबली ने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था और अयोध्या जेल में कैद भी रहे। उनके पास स्वतंत्रता सेनानी का प्रमाण पत्र होने के बावजूद उनका परिवार आज भी पेंशन से वंचित है। सरकारी फाइलों और नियमों की भूलभुलैया में फंसा यह परिवार आज आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। यह खबर न केवल एक परिवार की पीड़ा है, बल्कि उन सभी गुमनाम नायकों की कहानी है जिन्हें आजादी के बाद भुला दिया गया।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 11 August 2025, 2:44 PM IST
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Maharajganj: महराजगंज जिले के बांसपार बेजौली बाजार टोला के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संतबली की कहानी आज भी स्थानीय लोगों की जुबान पर है। भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने का दावा करने वाले संतबली ने जीवन भर सरकारी मान्यता और पेंशन पाने के लिए संघर्ष किया, लेकिन उनका सपना अधूरा ही रह गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, संतबली के पुत्र चुल्हाई बताते हैं कि उनके पिता ने 1941 और 1942 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया था। इस दौरान, उन्हें अयोध्या जेल में कैद किया गया और 25 रुपये का जुर्माना भी अदा करना पड़ा। उनके पास स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का प्रमाण पत्र था, लेकिन पेंशन के लिए 1980 से शुरू किए गए आवेदन कभी मंजूर नहीं हुए। कई बार जांच और दस्तावेज जमा करने के बावजूद फाइलें सरकारी दफ्तरों में धूल फांकती रहीं।

आजादी के बाद भी परिवार की लड़ाई जारी

वहीं पिता के निधन के बाद उनकी मां मुराती देवी ने भी पेंशन के लिए कई अर्जियां दीं, लेकिन परिणाम शून्य रहा। 29 मई 2018 को संतबली का निधन हो गया। इसके बाद भी परिवार की लड़ाई जारी रही, लेकिन आज तक उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल सका।

आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवार

बता दें कि वर्तमान में परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। उनके पास मात्र 29 डिसमिल खेती की जमीन है, जिससे गुजर-बसर मुश्किल से हो पाता है। घर की हालत जर्जर है, गैस सिलिंडर जैसी बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। चुल्हाई खुद केवल पांचवीं कक्षा तक पढ़े हैं और मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं।

देश के लिए दिया बलिदान, आज सुविधाओं से वंचित

गौरतलब है कि संतबली की कहानी उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाती है जिन्हें आजादी के बाद भुला दिया गया। यह मामला सरकारी तंत्र की उदासीनता और उन परिवारों की पीड़ा का उदाहरण है, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया, लेकिन बदले में सम्मान और सहायता से वंचित रह गए। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संतबली ने देश के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन आजादी के बाद उनका परिवार पेंशन से वंचित रह गया। यह कहानी उस सरकारी उदासीनता की सच्चाई बताती है जो नायकों को भी अनदेखा कर देती है।

Location : 
  • Maharajganj

Published : 
  • 11 August 2025, 2:44 PM IST