CBSE ने किया बड़ा बदलाव: कक्षा 9 में शुरू किए ओपन बुक एग्जाम, पढ़ाई और समझने का नया तरीका

CBSE ने शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षा 9 में ओपन बुक एग्जाम शुरू करने का फैसला लिया है। इस नई प्रणाली में छात्र परीक्षा के दौरान किताबें और नोट्स लेकर आ सकते हैं, जिससे रटने की बजाय विषय की गहरी समझ और विश्लेषण क्षमता बढ़ेगी। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अनुरूप है। पायलट टेस्ट में छात्रों की सोचने और सवाल हल करने की क्षमता में सुधार देखा गया है। इस कदम से छात्रों का परीक्षा तनाव कम होगा और शिक्षा अधिक व्यावहारिक और ज्ञानात्मक होगी।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 11 August 2025, 12:56 PM IST
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New Delhi:  केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव करते हुए कक्षा 9 में शैक्षणिक सत्र 2026-27 से ओपन बुक एग्जाम (Open Book Exam) शुरू करने का फैसला लिया है। इस पहल के तहत छात्र परीक्षा के दौरान अपनी किताबें और नोट्स लेकर परीक्षा दे सकेंगे। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE) 2023 के दिशानिर्देशों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य छात्रों में रटने की बजाय विषय की गहराई से समझ और विश्लेषण क्षमता को बढ़ावा देना है।

ओपन बुक एग्जाम क्यों जरूरी?

परंपरागत परीक्षा प्रणाली में छात्र केवल याद कर लिखते थे, जिससे उनकी सोचने-समझने की क्षमता सीमित रह जाती थी। ओपन बुक असेसमेंट (OBA) के माध्यम से छात्रों को किताबों की मदद से सवालों को हल करने का मौका मिलेगा, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि परीक्षा आसान होगी। बल्कि, छात्रों को गहरी समझ के साथ सवालों का जवाब देना होगा, जिससे उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता और समस्या सुलझाने का कौशल बढ़ेगा।

ओपन बुक असेसमेंट की रूपरेखा

NCFSE 2023 के तहत, कक्षा 9 के छात्रों के लिए वर्ष में तीन बार पेन-पेपर टेस्ट आयोजित किए जाएंगे, जिनमें भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे मुख्य विषय शामिल होंगे। ये परीक्षाएं स्कूलों में ही आयोजित होंगी और छात्र अपनी विषय-संबंधित किताबें और नोट्स परीक्षा के दौरान उपयोग कर सकेंगे। परीक्षाएं आंतरिक मूल्यांकन का हिस्सा होंगी और इनका असर छात्रों के फाइनल परिणाम पर पड़ेगा।

पायलट प्रोजेक्ट से मिला अनुभव

इस बदलाव को लागू करने से पहले CBSE ने एक पायलट टेस्ट कराया था, जिसमें छात्रों के अंक 12% से 47% के बीच रहे। इस अध्ययन में यह पाया गया कि ओपन बुक एग्जाम से छात्रों की सोचने और सवाल हल करने की क्षमता में सुधार हुआ है। पायलट प्रोजेक्ट में क्रॉस-कटिंग टॉपिक्स यानी ऐसे विषयों पर ध्यान दिया गया, जो कई विषयों से जुड़े थे। रिपोर्ट में यह भी देखा गया कि अतिरिक्त सामग्री से बचकर, छात्र अपने सिलेबस पर आधारित अध्ययन कर बेहतर प्रदर्शन कर सके।

शिक्षकों की प्रतिक्रिया

अधिकांश शिक्षक इस नए परीक्षा मॉडल के समर्थक हैं। उनका मानना है कि ओपन बुक परीक्षा छात्रों को रटने के बजाय विषय की समझ विकसित करने में मदद करेगी। हालांकि, कुछ शिक्षकों ने यह भी कहा कि शुरुआत में कुछ छात्रों को इस नए तरीके को अपनाने में परेशानी हो सकती है। इसलिए, शिक्षकों का सुझाव है कि समय-समय पर छात्रों को इस पद्धति के लिए सही मार्गदर्शन और अभ्यास दिया जाए।

छात्रों को क्या मिलेगा फायदा?

ओपन बुक एग्जाम से छात्रों का परीक्षा तनाव कम होगा क्योंकि किताबें खुली रहेंगी और उन्हें हर चीज याद रखने की जरूरत नहीं होगी। इससे उनकी सोचने की क्षमता और विश्लेषणात्मक सोच बढ़ेगी। साथ ही, वे जो कुछ पढ़ेंगे उसे वास्तविक जीवन की समस्याओं में लागू करने में सक्षम होंगे। यह प्रणाली रटने की आदत को कम कर अवधारणा आधारित पढ़ाई को बढ़ावा देगी, जो दीर्घकालिक सीखने के लिए बेहतर है।

चीटिंग की संभावना घटेगी

ओपन बुक एग्जाम में पहले से ही किताबें उपलब्ध होने के कारण छात्रों द्वारा कॉपी करने या धोखाधड़ी करने की संभावना काफी कम हो जाएगी। छात्र अपनी नोट्स और किताबें परीक्षा हॉल में लेकर आएंगे, जिससे उनका ध्यान सही जानकारी खोजने पर केंद्रित रहेगा।

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Published : 
  • 11 August 2025, 12:56 PM IST