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डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रती महिलाओ ने लोकमंगल एवं परिवार कल्याण की कामना किया। इस दौरान घाट पर बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बच्चों की भीड़ उपस्थित रही।सभी ने छठ माता का आशीर्वाद लिया।
डूबते सूर्य को अर्घ्य
कोल्हुई/अड्डा/लक्ष्मीपुर (महराजगंज): डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रती महिलाओ ने लोकमंगल एवं परिवार कल्याण की कामना किया। इस दौरान घाट पर बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बच्चों की भीड़ उपस्थित रही।सभी ने छठ माता का आशीर्वाद लिया।
संवाददाता अनुसार लोक आस्था के इस महापर्व छठ की तैयारियों को लेकर व्रती महिलाएं कई दिनों से तैयारियों में जुटी थी। आज दोपहर बाद से ही लक्ष्मीपुर, नौतनवा,कोल्हुई, अड्डाबाजार, पुरंदरपुर,क्षेत्र के सभी छठ घाटों पर पुरुष टोकरियों में छठ सामग्री व ईख लेकर छठ घाटों पर जुटना शुरू हो गए। बनाये गए वेदियों के सामने व्रती महिलाओ ने पूजा अर्चना किया।
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यह छठ महापर्व का मुख्य दिन होता है। इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ घाट पर जाते हैं।बांस की टोकरी (दउरा) में ठेकुआ, मौसमी फल, सब्जियां और पूजा की अन्य सामग्री सजाकर सिर पर रखकर घाट तक ले जाया जाता है। व्रती पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य (अस्ताचलगामी सूर्य) को अर्घ्य देते हैं।
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है।इसके पीछे एक गहरा दार्शनिक संदेश छिपा है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देना इस बात का प्रतीक हर अंत एक नई शुरुआत लेकर आता है।यह जीवन-मृत्यु के चक्र और हर अंत के बाद एक नई शुरुआत का संदेश देता है। यह बीते हुए दिन और जीवन के लिए सूर्य देव को धन्यवाद देने का भी एक तरीका है।
चौथे और अंतिम दिन, व्रती सूर्योदय से पहले ही घाट पर पहुंच जाते हैं और पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य (उदीयमान सूर्य) की प्रतीक्षा करते हैं।सूर्य की पहली किरण के साथ ही उन्हें अर्घ्य दिया जाता है और छठी मैया से अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी आयु और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।अर्घ्य देने के बाद व्रती अदरक और जल या शरबत से अपना 36 घंटे का कठिन व्रत तोड़ते हैं, जिसे पारण कहा जाता है।
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नौतनवा, अड्डा बाजार, लक्ष्मीपुर, कोल्हुई समेत सभी घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर महिल पुलिस भी तैनात रही।आम जन व व्रती महिलाओ को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए शासन प्रशासन ने पहले से ही तैयारियां पूर्ण कर रखी थी।