

देवरिया के 291 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए लाखों रुपये की लागत से खरीदे गए किचन सेट में भ्रष्टाचार की बू ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। टेंडर के जरिए हुई इस खरीदारी में बर्तनों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पांडेय ने मामले की जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। बच्चों के लिए शुद्ध भोजन की योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है।
आंगनबाड़ी में बर्तनों के नाम पर भ्रष्टाचार
Deoria: देवरिया जनपद में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए बर्तनों की खरीदारी के नाम पर भ्रष्टाचार की बू ने पूरे प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। जिले के 291 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 20 लाख रुपये की लागत से 18-18 पीस के किचन सेट खरीदे गए, लेकिन इन बर्तनों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, टेंडर के माध्यम से की गई इस खरीदारी में सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग हुआ है। बच्चों को शुद्ध और पौष्टिक भोजन देने के लिए शुरू की गई यह योजना अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।
बर्तनों की खराब गुणवत्ता को लेकर उठे सवाल
मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) प्रत्यूष पांडेय ने इस मामले को गंभीर बताते हुए डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण भोजन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर 18 पीस के बर्तन उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन बर्तनों की खराब गुणवत्ता की शिकायतों ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले की गहन जांच के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
सूत्रों के मुताबिक, टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और घटिया सामग्री की आपूर्ति ने इस घोटाले को जन्म दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि बर्तनों की गुणवत्ता इतनी खराब है कि वे बच्चों के भोजन के लिए उपयुक्त नहीं हैं। कई केंद्रों पर बर्तनों से अजीब सी गंध आने की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिससे भ्रष्टाचार की बू और तेज हो रही है।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए चिंता
आंगनबाड़ी केंद्र, जो बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा हैं, वहां इस तरह की अनियमितताएं चिंता का विषय हैं। यह पहली बार नहीं है जब देवरिया में सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं की बात सामने आई हो, लेकिन इस बार मामला बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ा होने के कारण और भी गंभीर है।
स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते इस घोटाले की जांच नहीं हुई, तो यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। प्रशासन ने भले ही जांच का भरोसा दिया हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जांच केवल कागजी कार्रवाई बनकर रह जाएगी या वाकई में दोषियों को सजा मिलेगी?