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कासगंज जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने एक और जान ले ली। चार माह की गर्भवती महिला की मौत निजी अवैध अस्पताल में गलत इलाज के कारण हो गई। गुस्साए परिजनों ने राधा रानी हेल्थ केयर सेंटर पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
गुस्साए परिजनों ने किया हंगामा
Kasganj: जनपद कासगंज में स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत और अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों की लापरवाही ने एक बार फिर इंसानी जान ले ली। चार माह की गर्भवती महिला की मौत एक निजी हेल्थ केयर सेंटर में गलत उपचार के कारण हो गई, जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया और गंजडुंडवारा-बदायूं हाईवे पर शव रखकर प्रदर्शन किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मामला थाना सिकंदरपुर वैश्य क्षेत्र के गांव बहरोजपुर छितैरा का है। जहां मृतका अनीता देवी (35 वर्ष), पत्नी गिरीश चंद्र चार माह की गर्भवती थीं। मंगलवार देर रात अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजन उन्हें गांव के ही राधा रानी हेल्थ केयर सेंटर लेकर पहुंचे। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों ने सामान्य दवाएं देकर उन्हें घर भेज दिया, लेकिन देर रात उनकी हालत और बिगड़ गई।
बुधवार सुबह परिजन अनीता को दोबारा अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां मौजूद डॉक्टरों ने बिना पर्याप्त जांच के फिर से दवाएं दीं और अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। परिजन जैसे ही महिला को अल्ट्रासाउंड के लिए ले जा रहे थे, रास्ते में ही अनीता की मौत हो गई।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में गलत इलाज और अनट्रेंड डॉक्टरों की वजह से अनीता की बच्चेदानी क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव हुआ और उनकी जान चली गई। मौत की खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। गुस्साए ग्रामीण और परिजन शव लेकर गंजडुंडवारा-बदायूं हाईवे पर पहुंच गए और रास्ते को जाम कर दिया।
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करीब एक घंटे तक आवागमन पूरी तरह ठप रहा। दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। ग्रामीणों ने “डॉक्टरों की गिरफ्तारी” और “अवैध अस्पतालों पर कार्रवाई” की मांग की।
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— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) November 13, 2025
वहीं दूसरी तरफ, सूचना मिलते ही सीओ संदीप वर्मा, एसडीएम पटियाली प्रदीप विमल, थाना प्रभारी चंचल सिरोही और नायब तहसीलदार मुकेश कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। काफी समझाने-बुझाने के बाद अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन दिया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
घटना की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के नोडल प्रभारी डॉ. उत्कर्ष यादव जांच टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जांच में यह पाया गया कि राधा रानी हेल्थ केयर सेंटर पंजीकृत नहीं था, फिर भी वहां गर्भपात और प्रसव संबंधी इलाज चल रहा था। टीम ने अस्पताल को अवैध रूप से संचालित पाए जाने पर तुरंत सील कर दिया।
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स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जिले में लगभग 250 अस्पताल संचालित हैं, जिनमें से सिर्फ 55 ही पंजीकृत हैं। बाकी बिना अनुमति के चल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम केवल घटनाओं के बाद कार्रवाई करती है, लेकिन नियमित निरीक्षण का अभाव है।
लोगों का कहना है कि हर बार मौत के बाद प्रशासन “सीलिंग” की औपचारिकता पूरी कर देता है, लेकिन दोषियों पर कभी कड़ी कार्रवाई नहीं होती। अब सवाल यह है कि आखिर कब तक स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर अवैध अस्पतालों में गरीबों की जान से खिलवाड़ होता रहेगा?