

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में धांधली की शिकायत पर शासन हरकत में आ गया है। जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सरकंडी में आवासों की जांच के लिए लखनऊ से 12 सदस्यीय टीम पहुंची। आयुक्त ग्राम विकास के निर्देश पर गठित इस टीम ने गांव में लाभार्थियों से मुलाकात कर आवासों की हकीकत जानी।
प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली
Fatehpur: प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में धांधली की शिकायत पर शासन हरकत में आ गया है। जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सरकंडी में आवासों की जांच के लिए लखनऊ से 12 सदस्यीय टीम पहुंची। आयुक्त ग्राम विकास के निर्देश पर गठित इस टीम ने गांव में लाभार्थियों से मुलाकात कर आवासों की हकीकत जानी।
आरोप है कि पिछले आठ साल में यहां 1630 लोगों को पीएम आवास स्वीकृत हुए, लेकिन उनमें से कई गरीबों तक इसका लाभ नहीं पहुंचा। वहीं, मजदूरी का भुगतान भी कई जगह दूसरे लोगों के नाम पर निकाल लिया गया।
सरकंडी ग्राम पंचायत जिले की सबसे बड़ी पंचायत मानी जाती है। यहां 380 मजरे हैं और कुल आबादी करीब 21 हजार है। 2016-17 से 2023-24 तक 1630 आवास आवंटित किए गए। प्रत्येक लाभार्थी को 1.20 लाख रुपये की किस्तों में आर्थिक मदद और 22,680 रुपये मजदूरी मद में दिए जाने थे। शिकायत है कि कई गरीब परिवारों को सूची से बाहर कर दिया गया और अपात्र लोगों के नाम शामिल कर दिए गए।
मंगलवार को टीम गांव के अलग-अलग मजरों में पहुंची। वहां उन्होंने लाभार्थियों से बातचीत कर स्थिति जानी। कई लोगों ने बताया कि उनका नाम सूची में शामिल नहीं किया गया, जबकि वे कच्चे मकान में रह रहे हैं। वहीं, जिनके पास पहले से पक्के मकान थे, उन्हें आवास का पैसा मिल गया।
जांच टीम को कई ग्रामीणों ने बताया कि आवास की किस्त का पैसा या तो अधूरा दिया गया या फिर किसी और के खाते में चला गया। मनरेगा मजदूरी मद में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात सामने आई। कुछ लोगों ने यहां तक आरोप लगाया कि अधिकारियों और पंचायत स्तर पर मिलीभगत से यह खेल हुआ है।
भटखना की पप्पी देवी के नाम से स्वीकृत आवास पर 1.20 लाख रुपये आए थे। 22 हजार रूपये बिचौलिए ले गए और 98 हजार रुपये से अधूरा निर्माण करा दिया गया। छत अब तक नहीं डल पाई, दीवारें अधूरी ही खड़ी हैं।
टीम के पहुंचते ही अफसरों के साथ गुर्गे भी सक्रिय हो गए। पूछताछ के दौरान इशारे से लाभार्थियों को बयान देने की हिदायतें देते नजर आए।
जांच के दौरान अधिकारियों द्वारा लाभार्थी से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराने को लेकर शिकायतकर्ता के लोगों से नोकझोंक हो गई। बाद में बयान दर्ज होने और दस्तखत के बाद माहौल शांत हुआ।
संयुक्त निदेशक संजय कुमार पांडेय ने बताया कि जांच में किसी तरह की लापरवाही नहीं होगी। जिन भी अधिकारियों, कर्मचारियों या जिम्मेदार लोगों की संलिप्तता सामने आएगी, उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
टीम के गांव पहुंचते ही बड़ी संख्या में लोग दस्तावेज लेकर सामने आए। हर कोई अपनी शिकायत बताने में जुटा रहा। गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक में दिनभर इस जांच की चर्चा होती रही। हालांकि अधिकारियों द्वारा अब पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। यदि सरकंडी ग्राम पंचायत में धांधली साबित होती है तो जिले की अन्य ग्राम पंचायतों में भी जांच का दायरा बढ़ सकता है।