

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आत्महत्या की घटनाएं सामाजिक चिंता का विषय बनती जा रही हैं। रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में हुई ताजा घटना ने स्थानीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। गांव के एक युवक ने पंखे के कुंडी से गले मे गमछा डालकर आत्महत्या कर ली। मौत की खबर लगते ही परिवार मे हड़कंप मच गया।
थाना रुद्रपुर
Deoria: देवरिया जिले के रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम सरहसबह, नौका टोला में एक दुखद घटना ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया है। 42 वर्षीय दिनेश निषाद, पुत्र बिरहंगी निषाद, ने अज्ञात कारणों से अपने घर में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। यह घटना बीती रात की है, जब दिनेश ने कमरे को अंदर से बंद कर गमछे का फंदा बनाया और पंखे के छल्ले से लटक गए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सुबह जब परिजनों को इसकी जानकारी हुई, तो परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी इसरावती देवी और उनके छह बच्चों, पांच बेटियों नीतू (17 वर्ष), निधि (13 वर्ष), शिवानी (10 वर्ष), नेहा (8 वर्ष), खुशबू (6 वर्ष) और एक बेटे कार्तिक (4 वर्ष) पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था, क्योंकि उनके सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया।
सूचना मिलते ही पहुंची पुलिस
सूचना मिलते ही रुद्रपुर चौकी प्रभारी अविनाश मौर्य पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। परिजनों ने शव को फंदे से उतारकर जमीन पर रखा था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए देवरिया पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। प्रारंभिक जांच में आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है और पुलिस मामले की गहन जांच में जुट गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दिनेश निषाद का परिवार आर्थिक तंगी और सामाजिक दबावों से जूझ रहा था, हालांकि पुलिस ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है।
गांव में शोक की लहर
दिनेश के परिवार की स्थिति देखकर गांव में शोक की लहर है। उनकी पत्नी इसरावती देवी अब अकेले छह बच्चों की जिम्मेदारी संभालने के लिए मजबूर हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने परिवार की मदद के लिए कदम उठाने की अपील की है। इस घटना ने न केवल एक परिवार को तोड़ा है, बल्कि समाज के सामने मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक सहायता जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर किया है। पुलिस ने मामले में जांच तेज कर दी है और जल्द ही आत्महत्या के कारणों का पता लगाने की उम्मीद जताई है।
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए जाएं और जरूरतमंद लोगों को सहायता प्रदान की जाए।