Lucknow News: आईएएस अभिषेक प्रकाश ने पार की भ्रष्टाचार की सारी हदें, स्लाटर हाउस तक को नहीं छोड़ा

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक आईएएस की भ्रष्टाचार की पोल जनता के समक्ष आ गई है। पूरी घटना जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 27 May 2025, 1:34 PM IST
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लखनऊः चंद दौलत की ख़ातिर एक आईएएस अधिकारी इस स्तर तक गिर जाएगा जिसकी परिकल्पना सोच से परे है। बात उन दिनों की है जब अभिषेक प्रकाश की तैनाती बरेली में थी जहां गाय भैंस काटे जाते थे, उन्होंने उस स्लाटर हाउस को भी नहीं बख्शा। वहां भी वह भ्रष्टाचार का गंदा खेल रच गए। आज चोरों की तरह मुंह छिपाए घूम रहे हैं, पुलिस की गिरफ्त से कोशो दूर है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता ने बताया कि भ्रष्ट आईएएस अभिषेक प्रकाश को 31 जुलाई 2012 में बरेली का डीएम बनाया गया था। वह आठ जून 2014 तक जिलाधिकारी के पद पर तैनात रहे। इस बीच टाउनशिप, जमीन के मामलों से लेकर मांस कारोबारी से उनकी नजदीकी खूब चर्चा में रही। यह भी कहा जाता था कि जिस निजी टाउनशिप को बसाने में उन्होंने कानून-कायदे को ताक पर रख दिया। उसमे उनका पैसा लगा हुआ था। इसकी शिकायतें भी हुई। मगर अपने प्रभाव से उन्होंने दबवा दिया।

निजी टाउनशिप में लगाया था सरकारी खजाना
निलंबित भ्रष्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बरेली में डीएम रहने के दौरान स्टांप के जरिये सरकारी खजाने को लाखों का चूना लगाया। बरेली- लखनऊ हाईवे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर जो प्राइवेट टाउनशिप बसाई गई उसमे कम स्टांप ड्यृटी लगाए जाने की चर्चा जोरों पर है। आज भी अगर यूपी सरकार जांच करे तो उसके खजाने में लाखों रूपये आ सकते हैं। यही नहीं, भू उपयोग परिवर्तन में भी नियमों की अनदेखी कर बिल्डर को राहत दी गई। इसकी जांच बाद में शुरू हुई, जो अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।

बलिया सांसद ने भेजी निलंबित भ्रष्ट आईएएस अभिषेक प्रकाश की कहानी केंद्र सरकार को
निलंबित भ्रष्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश की बलिया सांसद ने केंद्र सरकार से की शिकायत की और उनकी सारी कहानी बताई। वर्ष 2021 में बलिया के तत्कालीन सांसद वीरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग में निलंबित करप्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश खिलाफ शिकायत की थी। अरोप लगाया था कि बरेली में डीएम रहने के दौरान अभिषेक प्रकाश ने बरेली-शाहजहांपुर हाईवे पर करीब 400 बीघा जमीन खरीदी।

इसमें पद का लाभ उठाते हुए स्टांप ड्यूटी की चोरी की। इसी जमीन पर यह विवादित निजी टाउनशिप पर बसा दिया। इसकी जांच शुरू हुई और तत्कालीन डीएम से रिपोर्ट भी मांगी गई थी। एसडीएम सदर ने इसकी जांच की और मंडलायुक्त कार्यालय में इसके खिलाफ अपील हुई। यहां से केस सुनवाई के लिए एसडीएम कार्यालय को वापस भेज दिया गया। बाद में राजस्व परिषद में अपील हुई तो जांच लखनऊ के एसडीएम सदर को दे दी गई। उस समय अभिषेक प्रकाश खुद लखनऊ के डीएम थे। यह प्रकरण अभी लंबित है।

भ्रष्ट आईएएस अधिकारी के करीबी निकांत जैन के ऊपर दर्ज हुआ एक धोखाधड़ी का मुकदमा
निकांत जैन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। व्यवसायी हसनरजा अब्बासी ने वजीरगंज कोतवाली में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का एक और मुकदमा दर्ज कराया है। अब्बासी का आरोप है कि निकांत ने उनकी जमीन को धोखाधड़ी से अपने नाम करवाकर उस पर लोन ले लिया।

आरोप है कि 2017 में निकांत ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरोसा भरोसा गांव में एक भूखंड पर कब्जा किया और उस पर एक निजी कंपनी के नाम से सवा करोड़ रुपये का बैंक लोन लिया। जब अब्बासी ने इसका विरोध किया, तो निकांत ने उन्हें धमकाया और मामला रफा-दफा करने के लिए 25 लाख रुपये की मांग की। यहां बता दें कि निकांत जैन निलंबित करप्ट आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश का करीबी है। उस पर धोखाधड़ी, जालसाजी, जमीन हड़पने और अवैध रूप से बैंक लोन लेने जैसे आरोप लगे हैं।

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