

हाल ही में शुरू हुआ “आई लव मोहम्मद” विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह विवाद कानपुर से शुरू होकर अब प्रदेश के कई शहरों तक फैल चुका है। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हल्की झड़प भी देखने को मिली हैं। पढ़ें पूरी खबर
आई लव मोहम्मद" विवाद गरमाया
कानपुर: हाल ही में शुरू हुआ "आई लव मोहम्मद" विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह विवाद कानपुर से शुरू होकर अब प्रदेश के कई शहरों तक फैल चुका है। विभिन्न स्थानों पर मुस्लिम समाज के लोगों ने पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हल्की झड़प भी देखने को मिली हैं।
विवाद की शुरुआत
12 वफात के अवसर पर कानपुर में जगह-जगह "आई लव मोहम्मद" लिखे हुए पोस्टर लगाए गए थे। इन पोस्टरों को लेकर पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। प्रशासन का तर्क है कि इस प्रकार के पोस्टर लगाने के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक थी। वहीं, मुस्लिम समाज का कहना है कि यह धार्मिक आस्था का विषय है और मुकदमे दर्ज करना गलत है।
विरोध की लहर
जैसे-जैसे पुलिस की कार्रवाई आगे बढ़ी, वैसे-वैसे विरोध भी तेज होता गया। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में समुदाय विशेष के लोग सड़कों पर उतरे और मुकदमे वापस लेने की मांग की। इस दौरान कहीं शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए तो कहीं पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव की स्थिति भी बनी।
ओवैसी का बयान
इस बीच, एआईएमआईएम प्रमुख *असदुद्दीन ओवैसी* ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट कर सरकार की कार्रवाई की आलोचना की। उन्होंने इसे धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला बताते हुए मुकदमे वापस लेने की मांग की।
कानपुर में सपा विधायकों की पहल
कानपुर में आज समाजवादी पार्टी के तीनों विधायक – *मोहम्मद हसन भूमि, अमिताभ बाजपेई और नसीम सोलंकी* – पुलिस कमिश्नर से मिले। उन्होंने ज्ञापन सौंपकर मांग की कि पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमों को तत्काल वापस लिया जाए। विधायकों का कहना था कि इस प्रकार की कार्रवाई से सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है और अनावश्यक तनाव पैदा हो रहा है।
समाजवादी पार्टी का पक्ष
सपा विधायकों ने कहा कि "आई लव मोहम्मद" लिखना किसी भी रूप में गलत नहीं है। यह एक धार्मिक अभिव्यक्ति है, जिससे किसी अन्य समुदाय की भावनाएं आहत नहीं होतीं। इसलिए, मुकदमे दर्ज करना अनुचित है और प्रशासन को अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करना चाहिए।
पुलिस और प्रशासन की स्थिति
पुलिस प्रशासन का कहना है कि उन्होंने जो कार्रवाई की है, वह नियम और व्यवस्था बनाए रखने के तहत की गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि मामले की जांच की जा रही है और आवश्यकतानुसार आगे का कदम उठाया जाएगा।
सामाजिक असर
यह विवाद न केवल कानपुर बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। कुछ स्थानों पर साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए सामाजिक संगठनों ने भी पहल की है। कई बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों का कहना है कि इस तरह के मामलों को संवेदनशीलता और संवाद के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए।