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कड़ाके की ठंड, कोल्ड वेव और घने कोहरे ने खजनी तहसील क्षेत्र में जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। शासन द्वारा ठंड से बचाव के लिए सार्वजनिक स्थानों, चौराहों और बाजारों में अलाव जलाने के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन खजनी तहसील क्षेत्र में इन निर्देशों का पालन होता नजर नहीं आ रहा है।
कड़ाके की ठंड में बेहाल खजनी
Khajni (Gorakhpur): कड़ाके की ठंड, कोल्ड वेव और घने कोहरे ने खजनी तहसील क्षेत्र में जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। शासन द्वारा ठंड से बचाव के लिए सार्वजनिक स्थानों, चौराहों और बाजारों में अलाव जलाने के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन खजनी तहसील क्षेत्र में इन निर्देशों का पालन होता नजर नहीं आ रहा है। प्रशासनिक स्तर पर कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं दिख रही, जिससे आमजन खासकर गरीब और मजदूर वर्ग को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बीते एक सप्ताह से खजनी क्षेत्र में कोल्ड डे की स्थिति बनी हुई है। पिछले तीन दिनों में ठंड का प्रकोप और अधिक बढ़ गया है। धूप न निकलने के कारण दिनभर ठिठुरन बनी रहती है, जबकि रात के समय पछुआ हवाओं के चलते सर्दी और भी तीखी हो जा रही है। लोग अलसुबह और देर शाम घरों से निकलने में भी हिचकिचा रहे हैं।
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घने कोहरे के कारण सुबह और शाम के समय दृश्यता बेहद कम हो जा रही है। इसका सीधा असर सड़क यातायात पर पड़ रहा है। प्रमुख मार्गों पर वाहन रेंगते नजर आ रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई है। राहगीरों और वाहन चालकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
खजनी तहसील क्षेत्र के खजनी, छताई, सतुआभार, हरनही, भैंसा बाजार, महादेवा, ढेबरा, सीकरीगंज और बेलघाट जैसे प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर प्रशासन द्वारा अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इससे सबसे अधिक परेशानी मोची, ठेला चालक, टैंपू चालक, फल और सब्जी विक्रेताओं को हो रही है, जो दिनभर खुले में रहकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि चौराहों पर अलाव की व्यवस्था होती तो उन्हें ठंड से कुछ राहत मिलती। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां गरीब और असहाय लोग ठंड से बचाव के लिए किसी ठोस व्यवस्था के अभाव में जूझ रहे हैं।
कड़ाके की ठंड का असर स्कूलों और दैनिक गतिविधियों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूलों के समय में बदलाव किया गया है। डॉक्टरों के अनुसार इस मौसम में सर्दी, खांसी, बुखार और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
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अलाव की व्यवस्था को लेकर तहसील प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन फोन न उठने के कारण उनका पक्ष नहीं जाना जा सका। अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागता है और शासन के निर्देशों के अनुरूप आम जनता को ठंड से राहत दिलाने के लिए ठोस कदम उठाता है।