

चिल्लूपार विधानसभा की सियासत में एक बार फिर हलचल मची है। भारतीय जनता पार्टी की कर्मठ नेत्री अस्मिता चन्द अपने मिलनसार और प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ जनता के बीच छाई हुई हैं।
भारतीय जनता पार्टी की कर्मठ नेत्री अस्मिता चन्द
Gorakhpur News: चिल्लूपार विधानसभा की सियासत में एक बार फिर हलचल मची है। भारतीय जनता पार्टी की कर्मठ नेत्री अस्मिता चन्द अपने मिलनसार और प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ जनता के बीच छाई हुई हैं। बीते विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशियों के लिए दिन-रात मेहनत की, फिर भी टिकट से वंचित रह गईं। मगर हार न मानते हुए, अस्मिता ने न केवल चिल्लूपार, बल्कि अन्य प्रदेशों में भी पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता के अनुसार, 2002 से लगातार भाजपा के लिए समर्पित अस्मिता चन्द अब पूरे दम-खम के साथ मैदान में हैं, और जनता में उनके प्रति उत्साह चरम पर है।पिछले कुछ महीनों से अस्मिता चन्द की सक्रियता ने चिल्लूपार की सियासी फिजा को गरमा दिया है। गांव-गांव घूमकर, स्थानीय लोगों से संवाद और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर वे जनता की नब्ज टटोल रही हैं। उनके इस जमीनी जुड़ाव ने उन्हें 'प्रभावी तेवर' वाली नेता की पहचान दी है। स्थानीय लोग कहते हैं, "अस्मिता चन्द का तेवर चिल्लूपार की राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत आवाज बन सकता है।"
जनता उन्हें एक संभावनाशील और जुझारू नेता के रूप में देख रही है, जो क्षेत्र की समस्याओं को न केवल समझती हैं, बल्कि उनके समाधान के लिए संघर्ष करने का माद्दा भी रखती हैं।अस्मिता के समर्थकों में जोश है। वे चाहते हैं कि उनका यह तेवर सिर्फ चर्चाओं तक सीमित न रहे, बल्कि चिल्लूपार के सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने और क्षेत्र की अस्मिता की रक्षा के लिए धरातल पर उतरे। उनके समर्थक कहते हैं, "अब समय है कि अस्मिता चन्द के नेतृत्व को मौका मिले।"सवाल यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी इस बार उनकी मेहनत, निष्ठा और जनसंपर्क को वह पहचान देगी, जिसकी वे हकदार हैं? या फिर एक बार फिर उनका त्याग और संघर्ष नजरअंदाज होगा? यह यक्ष प्रश्न चिल्लूपार की सियासत में गूंज रहा है। अस्मिता चन्द की वापसी और उनका तेवर इस बार क्या रंग लाएगा, यह देखना होगा।