

सहजनवां थाने में दर्ज हत्या के एक बहुचर्चित मुकदमे में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि समाज में जघन्य अपराध करने वालों के लिए जेल ही उनका ठिकाना होगा।
गोरखपुर कोर्ट
Gorakhpur: गोरखपुर के सहजनवां थाने में दर्ज हत्या के एक बहुचर्चित मुकदमे में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि समाज में जघन्य अपराध करने वालों के लिए जेल ही उनका ठिकाना होगा।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार वर्ष 2024 में थाना सहजनवां क्षेत्र के पनिका गांव में हत्या की घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया था। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 11/2024 धारा 302, 201 भादवि में तीन आरोपियों को नामजद किया था। जिनमें संजय पाण्डेय पुत्र कृष्ण मूरत पाण्डेय, इन्द्रजीत उर्फ राजू पाण्डेय तथा सुमावली पत्नी स्व. कृष्ण मूरत शामिल थे।
लगातार जांच-पड़ताल और साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने मजबूत चार्जशीट न्यायालय में पेश की। विवेचक उपनिरीक्षक मदनमोहन मिश्रा, थाने के पैरोकार तथा मॉनिटरिंग सेल की सक्रिय भूमिका ने अभियोजन पक्ष को मजबूत किया। पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत यह मुकदमा विशेष निगरानी में रखा गया था।
सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश, कोर्ट संख्या-01 गोरखपुर ने अपना फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की कठोर सजा दी। साथ ही प्रत्येक पर 30-30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में कठोर सजा ही समाज को अपराधियों से सुरक्षित बना सकती है।
इस मामले में अभियोजन की ओर से एडीजीसी मनीष मिश्रा ने प्रभावी पैरवी की और अपराधियों को दोषसिद्ध कराने में निर्णायक योगदान दिया। उनकी तर्कशक्ति और तथ्यों की गहराई से पेश की गई दलीलों को न्यायालय ने स्वीकार करते हुए दोषियों को सजा सुनाई।
फैसले के बाद क्षेत्रीय जनता ने राहत की सांस ली और पुलिस-प्रशासन की सराहना की। लोगों का कहना है कि इस फैसले से यह संदेश जाएगा कि अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून की पकड़ से नहीं बच सकता।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर राज करन नय्यर ने कहा कि यह फैसला पुलिस और अभियोजन की मेहनत का परिणाम है। ऐसे मामलों में न्याय की जीत न सिर्फ पीड़ित परिवार को राहत देती है, बल्कि समाज को भी अपराध के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देती है।
गोरखपुर की अदालत का यह फैसला हत्या जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ एक मिसाल माना जा रहा है।