

पितृ पक्ष की शुरुआत के साथ कासगंज स्थित सोरो जी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। चंद्रग्रहण की युति के चलते आज का दिन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है। देश के कोने-कोने से लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करने पहुंचे हैं।
पितृ पक्ष में श्रद्धालुओं का सैलाब
Kasganj: पौराणिक नगरी सोरो जी में आज से पितृ पक्ष की शुरुआत के साथ ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली सहित कई राज्यों से आए श्रद्धालु अपने पूर्वजों के तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए गंगा के पवित्र घाटों पर एकत्र हुए हैं। हरिपदी गंगा के तट पर आज सुबह से ही श्रद्धालुओं ने स्नान कर विधिपूर्वक तर्पण और पूजा-अर्चना शुरू कर दी। पंडितों के अनुसार, पितृ पक्ष में जो भी व्यक्ति श्रद्धा और नियमों के साथ अपने पितरों का तर्पण करता है, उसे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार की उन्नति सुनिश्चित होती है।
इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है। आज पूर्णिमा तिथि है, जिसे पूर्णिमा श्राद्ध कहा जाता है। वहीं, 8 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध होगा और 21 सितंबर को महालया अमावस्या के साथ पितृ पक्ष समाप्त होगा। आज का दिन विशेष इसलिए भी है क्योंकि आज रात्रि 9:58 बजे से खग्रास चंद्रग्रहण का आरंभ होगा, जो 1:26 बजे रात को समाप्त होगा। चंद्रग्रहण के कारण दोपहर 12:57 बजे से मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं।
पितृ पक्ष में श्रद्धालुओं का सैलाब
सनातन परंपरा में पितृ पक्ष को अति पवित्र काल माना गया है। मान्यता है कि इस काल में पितरों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं और वे तर्पण, पिंडदान, जलदान और श्राद्ध से तृप्त होकर आशीर्वाद देती हैं।
पंडित नारायण शास्त्री बताते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान शादी, मुंडन, गृह प्रवेश और नए कार्य की शुरुआत जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों पूर्वजों की आत्माएं स्वर्ग लोक से धरती पर विचरण करती हैं, और इस समय का उद्देश्य केवल उनका स्मरण और तर्पण करना होता है।
• 7 सितंबर: पूर्णिमा श्राद्ध
• 8 सितंबर: प्रतिपदा श्राद्ध (पितृ पक्ष का पहला दिन)
• 21 सितंबर: महालया अमावस्या (सर्वपितृ श्राद्ध)
सोरो जी, जिसे सोरों शूकर क्षेत्र भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश की एक प्राचीन तीर्थस्थली है। यह स्थान हरिपदी गंगा के किनारे स्थित है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान वराह ने अवतार लिया था। पितृ पक्ष में यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। गंगा घाटों पर बने श्राद्ध मंडपों में दर्जनों पंडा परिवार इस समय व्यस्त हैं। भंडारे, धार्मिक कथाएं और ध्यान साधना जैसे कार्यक्रम भी लगातार आयोजित किए जा रहे हैं।