जालौन में बेखौफ अतिक्रमण: जिला अस्पताल के गेट पर कब्जा, मरीजों की जान पर बन आई!

उरई में जिला पुरुष और महिला अस्पताल के गेट पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा मरीजों के लिए संकट बन गया है। सिटी मजिस्ट्रेट की चेतावनी बेअसर होती दिखाई दे रही है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 27 June 2025, 2:37 PM IST
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जालौन: उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद में जिला पुरुष और महिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर बेखौफ अतिक्रमणकारियों ने एक बार फिर अपना कब्जा जमा लिया है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कुछ समय पहले जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय के सख्त निर्देश पर नगर पालिका परिषद और सिटी मजिस्ट्रेट ने मिलकर जोर-शोर से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस अभियान में जिला पुरुष अस्पताल, महिला अस्पताल और आबकारी विभाग के गेट के बाहर फैले अवैध कब्जों को हटाया गया था। सिटी मजिस्ट्रेट ने अतिक्रमणकारियों को कड़ी चेतावनी दी थी कि दोबारा इस क्षेत्र में अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन प्रशासन की यह सख्ती अब हवा-हवाई साबित हो रही है।

मरीजों को हो रही परेशानी

दरअसल, अतिक्रमणकारी न केवल वापस लौट आए हैं, बल्कि पहले से कहीं अधिक बेशर्मी के साथ सड़कों और फुटपाथों पर कब्जा किए बैठे हैं। जिला पुरुष अस्पताल के गेट के बाहर दुकानदारों ने अपनी दुकानें इस तरह सजा रखी हैं कि मरीजों और एम्बुलेंस को आने-जाने में भारी दिक्कत हो रही है। साइबर क्राइम थाने की बाउंड्री से सटी नालियों के आसपास भी बड़ी-बड़ी दुकानें अवैध रूप से लगाई गई हैं, जो न सिर्फ आवागमन में बाधा बन रही हैं, बल्कि दुर्घटनाओं का कारण भी बन रही हैं। आए दिन इस क्षेत्र में जाम की स्थिति बनती है और मरीजों को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है।

प्रशासन के लिए बनी चुनौती

वहीं इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की यह नरमी अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद कर रही है। सवाल यह उठता है कि क्या जिला प्रशासन और नगर पालिका परिषद इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं? क्या यह अवैध कब्जा एक नासूर बनकर शहर की व्यवस्था को और खराब कर देगा? मरीजों की जान से खिलवाड़ और सड़कों पर बढ़ता खतरा अब प्रशासन के लिए चुनौती बन चुका है।

दूसरी तरफ, नागरिकों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। कई बार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। क्या प्रशासन एक बार फिर सख्त कदम उठाएगा या यह अतिक्रमण शहर के लिए स्थायी संकट बन जाएगा?

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