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प्रवर्तन निदेशालय ने कफ सिरप की अवैध तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क के खिलाफ बड़े कदम उठाए हैं। छापेमारी में कई फर्जी कंपनियां, करोड़ों रुपये की अवैध कमाई और लग्जरी सामान बरामद किया गया है। इस मामले में और बड़े खुलासे की संभावना जताई जा रही है।
कफ सिरप तस्करी
New Delhi: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कफ सिरप की अवैध तस्करी और उससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया है। इस कार्रवाई में ईडी ने देश के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी की, जिसमें करोड़ों रुपये की अवैध कमाई, सैकड़ों फर्जी कंपनियां और लग्जरी सामान बरामद हुए। शुरुआती जांच में यह पता चला है कि यह एक संगठित और बड़े स्तर पर चलने वाला सिंडिकेट था, जो कफ सिरप के जरिए तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग कर रहा था।
प्रवर्तन निदेशालय ने रांची स्थित M/s सैली ट्रेडर्स के कार्यालय से 189 संदिग्ध बोगस कंपनियों के दस्तावेज जब्त किए। जांच में पाया गया कि इन कंपनियों के माध्यम से 450 करोड़ रुपये का फर्जी टर्नओवर दिखाकर अवैध लेनदेन किया गया था। इन कंपनियों का इस्तेमाल तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के काम में किया जा रहा था। दस्तावेजों के माध्यम से ईडी ने यह पता लगाया कि कफ सिरप की अवैध बिक्री और उसके पैसे को लांड्रिंग के नेटवर्क के जरिए आसानी से ट्रांसफर किया जा रहा था।
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मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के बंद पड़े घर को खोलने पर ईडी को महंगे ब्रांड्स के बैग और घड़ियां मिलीं। घर से प्राडा, गुच्ची, राडो और ऑडेमार्स पिगुएट जैसे ब्रांड्स के महंगे बैग और घड़ियां बरामद हुईं। इनकी कुल अनुमानित कीमत 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है। इसके अलावा, घर के इंटीरियर्स पर भी भारी खर्च किया गया था, जिसकी कीमत 1.5 से 2 करोड़ रुपये के बीच बताई जा रही है। यह सबूत यह संकेत देते हैं कि आरोपी ने अवैध कमाई से अपनी जीवनशैली को शानदार बनाने की कोशिश की थी।
लखनऊ में निलंबित सिपाही आलोक प्रताप सिंह के घर पर ईडी ने छापेमारी की। यहां जो जानकारी मिली, वह चौंकाने वाली थी। आलोक ने एक महलनुमा मकान बनवाया था, जिसकी केवल निर्माण लागत करीब 5 करोड़ रुपये थी। इस मकान का निर्माण एक पॉश इलाके में हुआ था, और जमीन की कीमत अलग से आंकी गई। यह दर्शाता है कि आरोपी ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए अवैध रूप से संपत्ति बनाई थी।
ईडी ने अहमदाबाद में M/s Aarpik Pharmaceuticals Pvt. Ltd. और M/s Idhika Life Sciences नामक कंपनियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की। इन कंपनियों पर कफ सिरप की अवैध बिक्री, दुरुपयोग और बेहिसाब लेनदेन के आरोप हैं। जांच में यह खुलासा हुआ कि कंपनी के निदेशकों ने कई फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल किया था, और इन कंपनियों के जरिए फंड लेयरिंग की जा रही थी। ईडी को विष्णु अग्रवाल, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास से 140 कंपनियों का डेटा भी मिला, जिनकी भूमिका मनी लॉन्ड्रिंग में संदिग्ध मानी जा रही है।
सहारनपुर में विभोर राणा और उसके सहयोगियों की जांच में यह पाया गया कि इनकी कंपनियों के जरिए अवैध पैसे को ट्रांसफर किया जा रहा था। यहां 125 कंपनियों से संबंधित डाटा और ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड्स मिले, जो संदिग्ध थे। इन कंपनियों के जरिए पैसों को एक से दूसरे खाते में डायवर्ट किया जा रहा था, ताकि पैसे के स्रोत को छिपाया जा सके। ईडी ने इन कंपनियों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी है और सबूत इकट्ठा किए हैं।