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लखनऊ मेट्रो ने शहर की यात्रा को आसान, तेज़ और किफायती तो बनाया बल्कि ट्रैफिक जाम में भी राहत मिली लेकिन इन दिनों इस बात पर संग्राम छिड़ा हुआ है कि लखनऊ मेट्रो किसकी देन है सपा की या भाजपा की? इस हकीकत को जानिये डाइनामाइट न्यूज़ की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में
किसकी देन है लखनऊ मेट्रो
Lucknow: नवाबों के शहर लखनऊ में मेट्रो ट्रेन सेवा की शुरुआत ने लाखों लोगों के सफर को न केवल आसान बनाया, बल्कि इस परिवहन प्रणाली ने शहर की रफ्तार को एक नया आयाम दिया है। इस बीच उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा अचानक शुरु हो गयी कि लखनऊ की मेट्रो को किसने बनवाया सपा ने या भाजपा ने।
कुछ दिन पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह दावा कि भाजपा सरकार के पहले राज्य में एक भी जगह मेट्रो ट्रेन नहीं चलती थी और आज राज्य के 6 शहरों में मेट्रो ट्रेन का संचालन हो रहा है। इसके बाद सपा प्रमुख और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल रात 9.37 बजे अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट किया और लिखा कि
बेहद शर्मनाक बयान!
आज तो झूठ भी अपने आप को लज्जित महसूस कर रहा होगा।
इतना बड़ा झूठ भी नहीं बोलना चाहिए कि इंसान औरों की ही नहीं अपनी निगाह में भी गिर जाए। सफ़ेद झूठ बोलने से व्यक्ति की गरिमा भी गिरती है और उन सभी पदों की प्रतिष्ठा और मान-मर्यादा भी जिन पर वो बैठता है। सत्ता का… pic.twitter.com/0MKnNmsAYx
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 18, 2025
“बेहद शर्मनाक बयान! आज तो झूठ भी अपने आप को लज्जित महसूस कर रहा होगा। इतना बड़ा झूठ भी नहीं बोलना चाहिए कि इंसान औरों की ही नहीं अपनी निगाह में भी गिर जाए। सफ़ेद झूठ बोलने से व्यक्ति की गरिमा भी गिरती है और उन सभी पदों की प्रतिष्ठा और मान-मर्यादा भी जिन पर वो बैठता है। सत्ता का ऐसा भी क्या लालच कि उस बात को झूठ बताना जिसके प्रमाण हर तरह से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं और जनता ने जिसका ख़ुद साक्षात अनुभव किया हो। इतना बड़ा झूठ बोलना तभी संभव होता है जब व्यक्ति या तो चेतना खो दे या सच्चाई या अपने आदर्श और सत्य के संस्कार। ऐसे महाझूठ वक्ता दरअसल अपने लोगों को महामूर्ख समझते हैं। वो मानते हैं कि उनके अनुयायी उनकी हर बात को सच ही मानेंगे लेकिन ऐसा होता नहीं है। भाजपा और उनके संगी-साथियों और वाहिनीवादियों की सोच ही यही है कि झूठ बोलकर अपने लोगों को ठगो। आज तो भाजपाई गुट के वो सब लोग शर्म से ज़मीन में गड़ गये होंगे जो ऐसे लोगों के लिए हर तर्क-कुतर्क से बाज नहीं आते थे और इनकी ईमानदारी की गारंटी देते थे। अपनी नहीं तो पद की गरिमा का ही मान रखिए। वैसे उनसे सच की उम्मीद करना बेकार है जो महाकुंभ जैसे पावन और धार्मिक अवसर पर सनातनी हिंदुओं की मृत्यु पर झूठ बोलने का घोर पाप कर चुके हैं। आज सत्य अपने आप को कितना बौना महसूस कर रहा होगा।”
डाइनामाइट न्यूज़ ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि लखनऊ की मेट्रो ट्रेन सेवा सपा सरकार अखिलेश यादव की देन है। उनके समय में ही मेट्रो ट्रेन का कार्य प्रारंभ हुआ और उनके ही कार्यकाल में उन्होंने बाकायदे मेट्रो ट्रेन के ट्रायल रन का आधिकारिक तौर पर वर्ष 2016 में उद्धाटन किया।
इसके बाद राज्य में चुनाव हुए और सरकार बदल कर भाजपा की आ गयी। भाजपा सरकार बनने के बाद एक बार फिर कामर्शियल संचालन के नाम पर योगी सरकार ने इसका दोबारा उद्घाटन कर अपनी उपलब्धि बताने लगी।
लखनऊ मेट्रो परियोजना का शिलान्यास 27 सितंबर 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था और 2 दिसंबर 2016 को अखिलेश यादव ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर लखनऊ मेट्रो के ट्रायल रन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार की थी, जिसकी शुरुआत समाजवादी पार्टी की सरकार में हुई। लखनऊ मेट्रो का निर्माण कार्य लगभग 3 साल में पूरा हुआ। इसमें मार्ग, स्टेशन और आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया गया।