दिनेश शर्मा ने राज्यसभा में वन्दे मातरम गीत को लेकर कांग्रेस पर लगाए ये गंभीर आरोप

राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बुधवार को उच्च सदन में वन्दे मातरम गीत को लेकर कांग्रेस पर कई वार किये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जिन्नाई सोच के तहत वन्दे मातरम गीत को हिन्दू और मुसलमान में बांटने का काम किया था।

Post Published By: Dynamite News
Updated : 10 December 2025, 11:24 PM IST
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New Delhi: राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बुधवार को संसद के शीतकालीन सत्र के मध्य सदन में राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् को लेकर कांग्रेस पर जमकर आरोप लगाए। संसद में वन्दे मातरम पर चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष किए।

उन्होंने  कहा कि कांग्रेस ने जिन्नाई सोच के तहत वन्दे मातरम गीत को हिन्दू और मुसलमान में बांटने का काम किया था। उसने ऐसा वोट की राजनीति के चलते किया था।संसद में वन्दे मातरम पर चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष ने जन गण मन और वन्दे मातरम के बीच में भी विभेद पैदा करने का प्रयास किया।

राजनैतिक तुष्टीकरण के लिए की सौदेबाजी

दिनेश शर्मा ने कहा कि  कांग्रेस कार्यसमिति ने वन्दे मातरम गीत के 4 अन्तरों को जानबूझकर हटाकर देश के साथ गंभीर विश्वासघात किया। उन्होंने राजनैतिक तुष्टीकरण के लिए भारत मां की वन्दना करने वाले अन्तरों को हटाया था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि देश के सांस्कृतिक सत्य को राजनैतिक लाभ के लिए गिरवी रख दिया गया। यह जिन्नाई सोच के प्रति समर्पण था जिसके चलते देश की सांस्कृतिक जड़ भी राजनैतिक सौदेबाजी का विषय बन गई ।

सांसद ने कहा कि वन्दे मातरम के विभाजन की कांग्रेस द्वारा डाली गई नींव ही देश के बंटवारे का कारण बनी थी। वन्दे मातरम के चार अन्तरों की चुप्पी एक त्रासदी की तरह है। ये सत्य कभी भूला नहीं जा सकता है।

राज्यसभा सांसद ने कहा कि वन्दे मातरम गीत के 150 वर्ष का उत्सव भारत की आत्मा की आराधना के समान है। बंकिम बाबू ने 1875 में इस गीत को लिखकर आजादी के प्रति जागरूकता पैदा की थी। इसमें भारत माता को ज्ञान की सरस्वती , समृद्धि की लक्ष्मी एवं अजेय शक्ति की दुर्गा के रूप में पूजित किया है।  गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इसे स्वर देकर क्रान्ति की धड़कन बना दिया।

उच्च सदन में वन्दे मातरम पर चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को नकारात्मक बताते हुए उन्होंने कहा कि गीत के अन्तरा को हटाने को लेकर दी गई दलील उचित नहीं हैं। यह कहना ठीक नहीं है कि गीत के अंश को हटाने में जवाहर लाल नेहरू की भूमिका नहीं रही बल्कि 1937 में नेहरू ने अली सरदार जाफरी जी को लिखे पत्र में गीत को देवी मां की श्रद्धांजलि सरीखा बताते हुए बेतुका तक कहा।

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उन्होंने गीत की भाषा को भी कठिन बताते हुए कहा था कि लोग इसे समझ नहीं सकते हैं। यह भी कहा कि इस गीत के विचार राष्ट्रवाद और प्रगति की आधुनिक अवधारणा से मेल नहीं खाते हैं। उनकी बाते उनकी सोच को बताती हैं। नेहरू की सोच ने समिति की सोच को भी प्रभावित किया था। नेहरू की सोच को जाफरी का समर्थन नहीं मिला था।

डॉ शर्मा ने कहा कि अरूणा आसफ अली जैसे लोग वन्दे मातरम कहकर भारत मां के प्रहरी के रूप में सामने आए थे। देशभक्त मुसलमान वन्दे मातरम गीत के साथ था पर कांग्रेस ने देशवासियों को बांट दिया। कांग्रेस ने बांटों और राज करो को अंग्रेजों से विरासत में ग्रहण किया। उस समय में लाहौर से निकलने वाले वन्दे मातरम अखबार के सभी कर्मचारी मुस्लिम थे।

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उनका कहना था कि देश पूर्ण वन्देमातरम का पक्षधर है। ऐसा कोई भी प्रयास स्वीकार नहीं किया जा सकता है जो देश की आत्मा को कमजोर करे। एक भारत श्रेष्ठ भारत ही समय की मांग है जो आर्थिक रूप से सशक्त , सांस्कृतिक रूप से आत्मविश्वास से भरा और आध्यात्मिक रूप से जागृत हो।

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  • 10 December 2025, 11:24 PM IST