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मिर्जापुर जिले के बरही गांव में बेचूबीर और बरहिया माता के मंदिर पर सैकड़ों वर्षों से मेला लगता चला आ रहा है,ऐसी मान्यता है कि यहां आने से भूत प्रेत बांधा समाप्त हो जाता है।सके अलावा जिसको संतान कि प्राप्ति नहीं होती हैं यहां आने से उनकी मनोकामना पूरी होती हैं ऐसा लोगों का मानना है।
बेचूबीर और बरहिया माता के मंदिर पर सैकड़ों वर्षों से मेला
मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के बरही गांव में बेचूबीर और बरहिया माता के मंदिर पर सैकड़ों वर्षों से मेला लगता चला आ रहा है,ऐसी मान्यता है कि यहां आने से भूत प्रेत बांधा समाप्त हो जाता है। इसके अलावा जिसको संतान कि प्राप्ति नहीं होती हैं यहां आने से उनकी मनोकामना पूरी होती हैं ऐसा लोगों का मानना है।
वहीं श्रधालुओं का कहना हैं कि हमारी मन्नतें पूरी होती हैं इसलिए हम आएं हैं,इस युग में कहीं न कहीं विज्ञान को चुनौती देने वाला हैं यह मेला, विज्ञान पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है आस्था का शैलाब उमड़ता, तीन दिनों तक चलता है, यह मेला पहाड़ के चारों तरफ से घिरा हुआ है बरही गांव जहां लगता है मेला में लोग पहाड़ों और खेतों में अपना टेंट लगाकर रहते हैं, बात सुरक्षा व्यवस्था कि जाएं तो मेलें में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं कैमरे से निगरानी कि जा रही हैं, भारी पुलिस के अलावा सादे वर्दी के साथ ही साथ महिला पुलिस कर्मी भी लगाएं गए हैं,
सैकड़ों वर्ष पहले बरही गांव की कहानी
जानकारी के मुताबिक, सैकड़ों वर्ष पहले बरही गांव में बेचू यादव नामक एक व्यक्ति थे बेचू यादव पहलवान भी थें,बरही गांव के चारों तरफ जंगल ही जंगल था, जंगल में भैंस चराने रोज जाते थे एक दिन उनकी शेर से सामना हो गई शेर से लड़ाई हुई बेचू यादव भी घायल हो गए और शेर भी घायल हो गए। वह घायल अवस्था में बरही गांव में पहुंचे, वहां आकाशवाणी हुई और कहा गया कि बेचू जो मांगना हो मांग लो जानकार बताते हैं कि जब आकाशवाणी हुई तो शेर के रूप में स्वयं भगवान भोले शिवशंकर थें।
भक्त की पूरी होती मनोकामना
वहीं बेचू यादव ने कहा कि हे प्रभु हमें कुछ नहीं चाहिए हमारे चौरी पर जो भी भक्त आएं उसकी मनोकामना पूरी हो, इधर बेचू यादव घर नहीं पहुंचे उनकी पत्नी घबराने लगी और बेचू यादव कि ख़ोज में जंगल में निकल पड़ी जहां जहां खून के निशान थे उसी निशान के आधार पर गांव में पहुंची तो जानकारी मिली कि बेचू यादव घायल हो गए हैं शेर से मल युद्ध हुआ है उस समय उनकी पत्नी बरही में थी उनको लड़की पैदा हुईं थीं, यही नहीं जब देखीं कि बेचू यादव घायल हो गए हैं।
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प्रसाद के रूप में चावल का एक दाना
वहां से लगभग तीन किलोमीटर दूर भक्सी नदी पड़ता है। वहां स्नान करने चलीं गईं और वहां से आने के बाद उसी गांव में कुछ ही दूरी पर अपनी भी चिंता सजाकर समाधी लें लीं इधर बेचू यादव कि मृत्यु हो चुकी थी उनकी समाधि कि चौरी गांव के पहले ही बना है, तभी से बेचूबीर और बरहिया माता के नाम से जाना जाता है बरही गांव,ऐसा माना जाता है कि जब से दोनों लोगों कि पूजा नहीं होगी मन्नतें पूरी नहीं होगी, आप देख सकते हैं किस तरह से लोग खेल रहें हबुआ रहें हैं, कहीं न कहीं लोगों के आस्था जो जुड़ी है, प्रसाद के रूप में चावल का एक दाना ही काफी है अच्छत के रूप चावल का वितरण किया जाता, मंदिर से लोग प्रसाद के रूप में लेकर जाते हैं
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बारिश पर भी आस्था भारी पड़ रहा हैं लोग बेचूबीर पहुंच रहें लेकिन बारिश का भी सामना करना पड़ रहा है श्रद्धालुओं को जगह किचड़ हो गया है आप तस्वीरो में भी देख सकते हैं, बारिश के बजह से लोगों का टेंट भी भींग गया है, यही नहीं उपजिलाधिकारी चुनार राजेश कुमार वर्मा और अहरौरा थाना प्रभारी फोर्स के साथ बराबर भ्रमण कर रहे हैं मेले में,