

गोरखपुर: “झाड़ियों में बेबस मासूम: समाज की संवेदनाओं पर सवाल”,पढिए पूरी खबर
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Gorakhpur: रविवार की सुबह गोरखपुर के गोला-कौड़ीराम मार्ग पर एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। ककरही पेट्रोल पंप के पास सड़क किनारे झाड़ियों में एक नवजात शिशु मिला, जिसे देखकर हर व्यक्ति का हृदय कांप उठा। यह दृश्य केवल एक बच्चे की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे समाज की संवेदनाओं को आईना दिखाता प्रतीत हुआ। सुबह करीब 7 बजे कुछ ग्रामीण रोज की तरह टहलने निकले थे। तभी उन्हें झाड़ियों की ओर से हल्की रोने की आवाज सुनाई दी। जब उन्होंने झांक कर देखा तो गुलाबी तौलिए में लिपटा एक नवजात शिशु ठंडी जमीन पर पड़ा था। मासूम की सिसकियां जैसे उस क्षण पूरे वातावरण को स्तब्ध कर गई। उपस्थित लोगों की आंखें भर आई। यह सवाल हर किसी के मन में गूंज रहा था- आखिर ऐसा कौन कर सकता है?
महिलाओं ने बच्चे को उठाया
वहां मौजूद कुछ महिलाओं ने भी बच्चे को पानी पिलाया और उसके शरीर को गरमाहट देने की कोशिश की। सूचना मिलते ही गोला थाना पुलिस मौके पर पहुंची और नवजात को तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की हालत स्थिर है, लेकिन उसे विशेष देखभाल की आवश्यकता है। प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि बच्चे की देखरेख पूरी जिम्मेदारी से की जाएगी।
समाज की सोच पर गंभीर प्रश्न
ग्रामीणों और प्रत्यक्षदर्शियों की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग थी। कुछ ने इसे ‘मां की मजबूरी’ बताया तो कुछ ने इसे ‘मानवता पर धब्बा’। लेकिन हर कोई इस बात पर सहमत था कि यह घटना केवल एक बच्चे से जुड़ी नहीं है, बल्कि हमारे समाज के उस गिरते मूल्य-बोध का प्रतीक है जहां एक नवजात को इस तरह फेंक दिया जाता है। सरकार द्वारा स्थापित शिशु गृह, पालना घर और गोद लेने की वैधानिक प्रक्रियाएं मौजूद हैं। जिनका उपयोग करके ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है, लेकिन जागरूकता और मानवीय सोच की कमी के कारण आज भी इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं।
पुलिस जांच में जुटी, सीसीटीवी खंगाले जा रहे
गोला थाना प्रभारी ने बताया कि आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि नवजात को किसने और कब छोड़ा। मामला संवेदनशील है और आरोपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जिला प्रशासन नवजात के लिए गोद लेने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है।
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नवजात की आंखों में एक सवाल
इस मासूम की नन्हीं आंखें जैसे हर गुजरते चेहरे से पूछ रही थीं- क्या मेरी कोई गलती थी? क्या मैंने गलत समय और गलत जगह जन्म लिया? यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं है। यह समाज की उस मानसिकता को उजागर करती है जो जरूरत पड़ने पर आंखें मूंद लेती है।