Chandauli News: मुगलसराय में बंदरगाह परियोजना का विरोध तेज, ग्रामीणों ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मांगा साथ

यूपी के चंदौली जनपद में प्रस्तावित बंदरगाह और फ्रंट विलेज परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 29 June 2025, 3:22 PM IST
google-preferred

Chandauli: मुगलसराय क्षेत्र में प्रस्तावित बंदरगाह और फ्रंट विलेज परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है। इस परियोजना के तहत ताहिरपुर, मिल्कीपुर, रसूलागंज और छोटा मिर्जापुर गांवों की पुश्तैनी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिससे वहां के निवासियों की आजीविका पर संकट मंडराने लगा है। इस मुद्दे को लेकर स्थानीय निवासियों ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात कर सहयोग की मांग की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ईशान मिल्की के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने अखिलेश यादव को परियोजना की विस्तार से जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल में नफीस अहमद, विनय मौर्य, वीरेंद्र कुमार साहनी समेत कई ग्रामीण शामिल थे। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र माझी समाज का प्रमुख निवास स्थल है, जहां लगभग 70 प्रतिशत आबादी नाव चलाकर और मछली पकड़कर जीवन यापन करती है। प्रस्तावित परियोजना न केवल उनकी जमीनें छीनने का काम कर रही है, बल्कि उनके परंपरागत जीवन और संस्कृति को भी समाप्त करने की ओर अग्रसर है।

बिना सहमति जमीन अधिग्रहण नहीं मंजूर

प्रतिनिधिमंडल ने यह भी बताया कि 20 मई को मुगलसराय के उपजिलाधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के भारी पुलिस बल और तीन बुलडोजरों के साथ गांव पहुंचे, जिससे स्थानीयों में भय और गुस्से का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने शांतिपूर्वक विरोध जताया और प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा। बावजूद इसके, अब तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।

समाजवादी पार्टी ने दिया समर्थन

अखिलेश यादव ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी हमेशा किसानों और मजलूमों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि बिना स्थानीयों की सहमति के कोई भी जमीन अधिग्रहण स्वीकार्य नहीं है। यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया जाएगा और यदि जरूरत पड़ी तो कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी।

माझी समाज की आजीविका पर मंडरा रहा संकट

स्थानीय शिक्षक विद्याधर ने बताया कि गांव के लोग गहरी आशंका में जी रहे हैं। उन्होंने कहा, हम अहिंसक तरीके से अपना प्रतिरोध दर्ज कराएंगे। हमें विकास नहीं, विस्थापन का डर सता रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि प्रशासन ने अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं किया, तो ग्रामीणों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।

ग्रामीणों की मांग है कि सरकार पारदर्शिता बरते और जन संवाद के बिना कोई भी कदम न उठाए। साथ ही, प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक आजीविका और उचित मुआवजा देने की भी बात कही गई है।

फिलहाल यह परियोजना स्थानीय स्तर पर विवाद और असंतोष का विषय बनी हुई है। आने वाले दिनों में यदि प्रशासन ने संवाद की प्रक्रिया नहीं अपनाई, तो यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।

Location : 

Published :