Budaun News: जिम्मेदार कौन? लगातार हो रही नवजातों की मौत, सपा अध्यक्ष ने सरकार को घेरा

नवजातों की मौत ने पूरे जनपद को झकझोर कर रख दिया है। मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 11 June 2025, 5:56 PM IST
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बदायूं: जिला महिला अस्पताल के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में दो दिन के भीतर चार नवजातों की मौत ने पूरे जनपद को झकझोर कर रख दिया है। यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर विफलता है, बल्कि बच्चों के जीवन के मूलभूत मानवाधिकारों का भी घोर उल्लंघन माना जा रहा है। लगातार हो रही मौतों के बाद परिजनों और आमजन में आक्रोश व्याप्त है, वहीं विपक्ष ने भी सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, "इधर-उधर की राजनीति छोड़िए और अपने मंत्रालय पर ध्यान दीजिए।" उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है।

तकनीकी चिकित्सा की आवश्यकता

चार दिन पहले 18 घंटे के भीतर तीन नवजातों की मौत हुई थी, जिनमें दो जुड़वां बच्चे भी शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार नवजातों को वेंटिलेटर और सीपैप मशीन जैसी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। बच्चों को केवल रेडियंट वार्मर से इलाज दिया जा रहा है, जबकि उनकी हालत के अनुसार विशेष तकनीकी चिकित्सा की आवश्यकता थी।

अस्पताल की लापरवाही

5 जून को दातागंज निवासी धर्मपाल की पत्नी प्रेमलता ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसका वजन मात्र 780 ग्राम था। डॉक्टरों ने वेंटिलेटर की जरूरत बताई, लेकिन अस्पताल में उपकरण नहीं होने के कारण बच्चे को रेफर करने की सलाह दी गई। परिजन रेफर नहीं करा सके और अगले दिन बच्चे की मौत हो गई।

व्यवस्थाओं का आभाव

इसी तरह, 4 जून को समरेर निवासी विपिन की पत्नी रेनू ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। दोनों का वजन बेहद कम था और उन्हें भी वेंटिलेटर की आवश्यकता थी, लेकिन अस्पताल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। जिसके वजह से दोनों की मौत हो गई।

परिजनों ने लगाया आरोप

परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि समय रहते बेहतर इलाज मिलता तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

मानवाधिकार का उल्लंघन

यह पूरा मामला स्पष्ट रूप से बच्चों के जीवन, स्वास्थ्य और गरिमा जैसे मूलभूत मानवाधिकारों के उल्लंघन को दर्शाता है। विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारियों और प्रशासन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, सरकार को तत्काल प्रभाव से जिला अस्पतालों में आवश्यक जीवन रक्षक सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में मासूमों की जान यूं न जाए।

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