

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वाइब्रेंट विलेज योजना के दूसरे चरण में एनसीसी 51वीं बटालियन के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित किया गया।
बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वाइब्रेंट विलेज योजना के दूसरे चरण में एनसीसी 51वीं बटालियन के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित किया गया। शुक्रवार को कन्या इंटर कॉलेज, हर्रैया में नशा और तंबाकू के सेवन के दुष्प्रभावों पर जन-जागरूकता शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कार्यक्रम का आयोजन 51 उत्तर प्रदेश बटालियन एनसीसी, बलरामपुर द्वारा किया गया। जिसका नेतृत्व थर्ड अफसर रोहिणी कुमार, सीटीओ सीमा ने किया।
सामाजिक दुष्परिणामों के प्रति जागरूक
मिली जानकारी के मुताबिक, शिविर में मुख्य अतिथि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मुकेश कुमार रस्तोगी रहे। जिन्होंने लोगों को सरकारी योजना की जानकारी दी।शिविर का उद्देश्य युवाओं, छात्राओं, शिक्षकों एवं स्थानीय नागरिकों को नशा और तंबाकू के सेवन से होने वाले शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना था।
दूरदराज गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास
वहीं कार्यक्रम में एनसीसी कैडेट्स, विद्यालय की छात्राएं, शिक्षण स्टाफ, आशा कार्यकर्ता एवं स्थानीय नागरिकों ने प्रतिभाग किया।कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण नुक्कड़ नाटक, दृश्य-श्रव्य प्रस्तुतियाँ तथा संवादात्मक सत्र रहा। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के द्वितीय चरण के अंतर्गत यह पहल न केवल सीमावर्ती व दूरदराज गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में है, बल्कि वहाँ के नागरिकों के सामाजिक और स्वास्थ्य कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
सीनियर डिवीजन सहित कुल 300 लोग मौजूद
जानकारी के मुताबिक, शिविर में लेफ्टिनेंट कर्नल अनुराग गंजवार, एडीएम ऑफिसर, 51 यूपी बटालियन एन सी सी सहित प्रधानाचार्य कन्या इण्टर कालेज हर्रैया सत्य प्रकाश तिवारी, डा. रजत शुक्ला सी एच सी गुगौली, प्रधानाचार्य यदुराजी जूनियर हाईस्कूल,अवधेश कुमार मिश्र व 100 जूनियर डिवीजन व 25 सीनियर डिवीजन सहित कुल 300 लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का आयोजन 51 उत्तर प्रदेश बटालियन एनसीसी, बलरामपुर द्वारा किया गया। जिसका नेतृत्व थर्ड अफसर रोहिणी कुमार, सीटीओ सीमा ने किया। इस शिविर का उद्देश्य युवाओं, छात्राओं, शिक्षकों और स्थानीय नागरिकों को नशा और तंबाकू के सेवन से होने वाले शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना था।