

सोनबरसा गांव में विकास कार्यों में घोटाले के आरोपों की जांच के लिए पहुंची टीम ने खानापूर्ति कर ग्रामीणों को नाराज कर दिया। शिकायतकर्ताओं ने निष्पक्ष जांच की मांग की और धरने की चेतावनी दी है।
जांच करने पहुंचे अधिकारी
Mahrajgnaj: महराजगंज जनपद के सिसवा विकासखंड के ग्राम सोनबरसा में विकास कार्यों में कथित घोटाले और शासकीय धन के दुरुपयोग को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। ग्रामवासियों की शिकायत पर पहुंची जांच टीम ने कथित तौर पर केवल खानापूर्ति कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की, जिससे शिकायतकर्ता और नाराज हो गए। ग्रामीणों ने अब जिलाधिकारी से निष्पक्ष और सक्षम अधिकारी द्वारा दोबारा जांच की मांग की है, साथ ही धरने की चेतावनी भी दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सोनबरसा निवासी भाकपा माले जिला सचिव संजय निषाद, गौरव कुमार ओझा, रविंद्र कुमार साहनी, राम उग्रह निषाद, प्रभु चौधरी, दीनबंधु यादव, छागूर निषाद सहित कई ग्रामीणों ने जिलाधिकारी और संबंधित अधिकारियों को शिकायती पत्र सौंपकर गांव में हुए विकास कार्यों में अनियमितता और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
इन कार्यों में सचिवालय की मरम्मत, चारदीवारी निर्माण, मनरेगा पार्क, सड़क-नाली निर्माण और पथ प्रकाश व्यवस्था शामिल हैं। शिकायत के बाद जिला दिव्यांगजन शसक्तिकरण अधिकारी कन्हैया यादव के नेतृत्व में एक दो सदस्यीय जांच टीम गठित की गई थी, जो बुधवार को गांव के सचिवालय पहुंची।
ग्रामीणों ने अधिकारियों पर लगाया आरोप
ग्रामीणों ने जांच अधिकारियों से इन सभी कार्यों की गहन जांच की मांग की, लेकिन आरोप है कि अधिकारियों ने केवल दो स्थानों का सतही निरीक्षण किया, जहां कोई काम नजर नहीं आया। इसके बाद ग्रामीणों और स्थानीय पत्रकारों द्वारा बार-बार सवाल पूछे जाने पर भी अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया और वहां से चुपके से निकल गए। शिकायतकर्ता संजय निषाद ने बताया कि यह जांच 9 जुलाई को होनी थी, लेकिन इसे 16 जुलाई तक टाल दिया गया। जांच के दौरान अधिकारियों ने ग्रामीणों के सवालों का जवाब देने के बजाय उल्टा मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी, जिससे ग्रामीणों में और रोष बढ़ गया।
ग्रामीणों ने दी धरने की चेतावनी
संजय निषाद ने कहा, "हमने विकास कार्यों में भारी अनियमितता और घोटाले की शिकायत की थी, लेकिन जांच अधिकारी ने सिर्फ खानापूर्ति की। हम चाहते हैं कि एक सक्षम और निष्पक्ष अधिकारी इस मामले की गहन जांच करे।" ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वे धरने पर बैठने को मजबूर होंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि विकास के नाम पर लाखों रुपये का बजट स्वीकृत हुआ, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं दिखता। सचिवालय की मरम्मत, सड़क-नाली और पथ प्रकाश जैसी योजनाएं केवल कागजों पर सिमटकर रह गई हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और गांव में विकास कार्यों को पारदर्शी तरीके से पूरा किया जाए।