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जिले के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान विंडो पीरियड का ब्लड चढ़ाए जाने से एक महिला और उसके रिश्तेदार को एचआईवी संक्रमण हो गया। महिला के जीजा से लिया गया खून संक्रमण से भरा हुआ था, क्योंकि डोनर विंडो पीरियड में था।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
Aligarh: अलीगढ़ जिले के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान विंडो पीरियड का ब्लड चढ़ाए जाने से एक महिला एचआईवी पॉजिटिव हो गई है। इसके अलावा, महिला के जीजा को भी एचआईवी संक्रमण का शिकार होना पड़ा है। इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान होने वाली लापरवाहियों को उजागर किया है। जांच के बाद एडी हेल्थ ने बताया कि विंडो पीरियड में किए गए ब्लड टेस्ट में संक्रमण का पता नहीं चल पाता, जिससे यह गंभीर समस्या उत्पन्न हुई।
एचआईवी विंडो पीरियड वह समय होता है जब व्यक्ति को एचआईवी वायरस का संक्रमण हो चुका होता है, लेकिन वह संक्रमण रक्त परीक्षण में नहीं दिखाई देता है। यह समय लगभग 2 सप्ताह से 6 महीने तक हो सकता है। इस अवधि में व्यक्ति संक्रमण फैलाने की क्षमता रखता है, लेकिन उसका परीक्षण नकारात्मक हो सकता है। इसीलिए विंडो पीरियड के दौरान डोनेट किया गया रक्त संक्रमित हो सकता है, भले ही वह टेस्ट में साफ दिखे।
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यह घटना रसोली के ऑपरेशन के दौरान हुई। महिला को ऑपरेशन के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां ऑपरेशन के दौरान उसे खून की जरूरत पड़ी। महिला के जीजा ने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से रक्त की मांग की। हालांकि, ब्लड बैंक ने रैपिड टेस्ट करके रक्त लिया और ब्लड की जांच में संक्रमण का पता नहीं चला, क्योंकि ब्लड डोनर एचआईवी के विंडो पीरियड में था। उसी खून को ऑपरेशन के दौरान महिला को चढ़ा दिया गया।
करीब एक महीने बाद महिला की जांच में एचआईवी पॉजिटिव होने का पता चला। महिला के पति ने जब उसके जीजा की भी जांच करवाई तो उसकी रिपोर्ट भी एचआईवी पॉजिटिव आई। इसके बाद महिला के पति ने इस गंभीर मुद्दे की शिकायत आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज की। इस शिकायत के आधार पर एडी हेल्थ ने अस्पताल और ब्लड बैंक की जांच की और पाया कि ब्लड डोनर विंडो पीरियड में था, जिसके कारण रक्त में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए एडी हेल्थ के डॉ. मोहन झा ने बताया कि इस मामले में रक्त का परीक्षण करते वक्त विंडो पीरियड को ध्यान में नहीं रखा गया, जिसके कारण यह गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई। उन्होंने कहा, "विंडो पीरियड में एचआईवी संक्रमण की पहचान नहीं हो पाती, और इस कारण महिला को संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि मामले की पूरी जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जुड़ी सुरक्षा प्रक्रियाओं और मानकों की गंभीर कमी को दर्शाती है। ब्लड बैंक में रखे गए रक्त के सुरक्षित होने के लिए हर प्रकार की जांच और सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर जब डोनर के विंडो पीरियड में होने की संभावना हो। इससे यह सवाल उठता है कि स्वास्थ्य अधिकारियों को विंडो पीरियड की जांच के लिए और सख्त प्रक्रियाएं अपनाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
सीएमओ के अनुसार, ब्लड बैंक और निजी अस्पताल की जांच की गई है, और इस घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। डॉ. मोहन झा ने कहा कि "ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान स्वास्थ्य विभाग को और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके।"