महराजगंज जिले में खलिहान की भूमि पर बन रही है सड़क; अफसर मौन, यहां जानें पूरा मामला

सदर तहसील के पिपरपाती तिवारी से एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां पर अफसरों की नाक के नीचे शासनादेशों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 15 May 2025, 11:32 AM IST
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महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज सदर तहसील के पिपरपाती तिवारी गांव से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां खलिहान की भूमि (Barn Land) पर अवैध रूप से सड़क निर्माण का कार्य कराया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह सब कुछ प्रशासन (Administration) की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, स्थानीय ग्रामीणों नंद किशोर, नरेंद्र कुमार, ध्यान मणि त्रिपाठी, वीरेंद्र मणि, चंदन कुमार, विशाल और कौशल किशोर ने इस निर्माण कार्य का विरोध करते हुए बताया कि वर्षों से इस भूमि का उपयोग वे लोग सामूहिक कृषि कार्यों के लिए करते आ रहे हैं।

ग्रामीणों ने लगाया गंभीर आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान की शह पर रात के अंधेरे में चोरी-छिपे खलिहान की जमीन पर गिट्टी डलवाकर सड़क निर्माण की कोशिश की गई। ग्रामीणों ने तत्काल कार्य रुकवाते हुए अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों की मांग है कि खलिहान की भूमि से गिट्टी हटाई जाए और इस अवैध प्रयास में शामिल लोगों पर कड़ी प्रशासनिक कार्यवाही की जाए।

जिले में पहले भी हो चुका है ये मामला
महराजगंज जनपद में ये पहला मामला नहीं है, जनपद में ऐसा पहले भी चुका है। बता दें कि कुछ समय पहले श्यामदेउरवा थाना क्षेत्र के ग्राम कोटवा में खलिहान की जमीन पर अवैध रूप से सड़क का निर्माण हो रहा था। जैसे ही इसकी सूचना तहसीलदार को हुई तो वह अपनी टीम के साथ पहुंचा और शिकायत की कि सड़क निर्माण के चलते जमीन की प्लाटिंग कर उसे बेचने का काम चल रहा है।

इन सब के बाद प्रशासनिक टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तुरंत काम रुकवाया और पीलर लगाकर जमीन सुरक्षित करने के आदेश दिए। इस मामले में तहसीलदार पकंज शाही और विवेक श्रीवास्तव ने पुलिस बल के साथ निर्माण कार्य को रुकवाया। इस को लेकर लोगों का कहना है कि कोटवा की आराजी नंबर 298 राजस्व अभिलेख में खलिहान के रूप में दर्ज है, जो एक तरह से गांव की सामूहिक संपत्ति है। वहीं, यह जमीन कई वर्षों से गांव के किसानों के इस्तेमाल में आ रही है।

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