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बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था पर गंभीर चिंता जताते हुए गुरुवार को मंडलायुक्त सभागार में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता अपर आयुक्त प्रशासन रामाश्रय ने की। बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया। कई अहम फैसले…पढिए पूरी खबर
दुर्घटना रोकथाम को लेकर अफसरों की बड़ी बैठक
गोरखपुर: बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था पर गंभीर चिंता जताते हुए गुरुवार को मंडलायुक्त सभागार में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता अपर आयुक्त प्रशासन रामाश्रय ने की। उद्देश्य था-गोरखपुर मंडल में सड़क सुरक्षा को मजबूत करना, दुर्घटनाओं में कमी लाना और ट्रैफिक व्यवस्था को तकनीक व प्रबंधन के जरिए अधिक प्रभावी बनाना।
बैठक में एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह, एसपी ट्रैफिक राजकुमार पांडेय, अपर नगर आयुक्त अतुल कुमार, संभागीय परिवहन अधिकारी, एनएचएआई के प्रतिनिधियों सहित कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। सभी ने क्षेत्रवार समीक्षा करते हुए दुर्घटनाओं के कारणों, समय, स्थल, ब्लैक स्पॉट और उनके समाधान पर विस्तार से चर्चा की।
शाम 6 से रात 8 बजे तक सबसे अधिक हादसे
बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया। मंडल में सड़क दुर्घटनाओं का पीक ऑवर शाम 6 बजे से रात 8 बजे के बीच पाया गया है। इस दौरान वाहनों की भीड़ और कम रोशनी मिलकर खतरा बढ़ा देती है। अधिकारियों ने इस समयावधि में अतिरिक्त पुलिस गश्त, इंटरसेक्शन पर निगरानी, तथा ट्रैफिक कंट्रोल को मजबूत करने पर जोर दिया।
इन स्थानों पर सबसे ज्यादा खतरा
गीडा, सहजनवा, कालेश्वर, बोकटा, दाना पानी और मोतीराम अड्डा को हाई-रिस्क जोन माना गया। हालांकि स्थानीय मांगों के बावजूद अधिकारियों ने साफ कहा कि फोर लेन पर स्पीड ब्रेकर लगाना सड़क सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है, इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। उसकी जगह रंबल स्ट्रिप्स, चेतावनी संकेत, बेहतर स्ट्रीट लाइट, और पुलिस पेट्रोलिंग जैसे वैज्ञानिक उपाय लागू किए जाएंगे।
मंडल के सभी जिलों के ब्लैक स्पॉट चिन्हित
गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और महाराजगंज के ब्लैक स्पॉट का विस्तृत विवरण बैठक में सामने रखा गया। रामनगर, कड़जहां और सरैया बाजार जैसे स्थानों को अत्यधिक जोखिमपूर्ण बताते हुए तुरंत सुधार के आदेश दिए गए।
महाराजगंज-ठूठीबारी मार्ग को अत्यधिक संवेदनशील बताया गया, जहाँ निर्माणाधीन सड़क के कारण दुर्घटना खतरा बढ़ गया है। कार्यदाई संस्था ने छह माह में काम पूरा करने का आश्वासन दिया।
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ग्रामीण मार्गों का मुख्य सड़क से जुड़ना सबसे बड़ा खतरा
अपर आयुक्त रामाश्रय ने कहा कि निर्माणाधीन सड़कों के पास स्थित गाँवों के लोग अचानक तेज रफ्तार मार्ग पर प्रवेश कर जाते हैं, जो दुर्घटना का मुख्य कारण है। इसलिए ऐसे स्थानों पर अस्थायी चेतावनी बोर्ड, गति नियंत्रण संकेत, और सुरक्षा उपाय तुरंत लागू करने के निर्देश दिए।
सेफ लाइफ फाउंडेशन 2008 की रिपोर्ट का हवाला
बैठक में सेफ लाइफ फाउंडेशन की रिपोर्ट का जिक्र हुआ, जिसमें बताया गया किमुख्य सड़क पर प्रवेश से पहले वाहनों की गति नियंत्रित हो और पर्याप्त साइनेज लगे हों, तो दुर्घटनाएँ 20–25% तक घट सकती हैं। प्रशासन ने इन सुझावों को स्थानीय स्तर पर लागू करने पर सहमति जताई।
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लापरवाही बर्दाश्त नहीं....
अपर आयुक्त ने साफ कहा-“जनता का हित सर्वोपरि है। सड़क सुरक्षा में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” उन्होंने ब्लैक स्पॉट्स पर रियल-टाइम सुधार, निर्माण स्थलों पर मानक सुरक्षा व्यवस्था, अंधे मोड़ों पर चेतावनी बोर्ड, तथा संवेदनशील समय में विशेष ट्रैफिक निगरानी के सख्त निर्देश दिए। बैठक में तय किया गया कि प्रशासन, पुलिस, एनएचएआई और परिवहन विभाग मिलकर आने वाले दिनों में व्यापक अभियान चलाएंगे, ताकि सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित कर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।