

फॉक्सकॉन की सब्सिडियरी युजहान टेक्नोलॉजी ने तमिलनाडु स्थित अपनी यूनिट से 300 चीनी इंजीनियरों को अचानक वापस बुला लिया है। यह कदम ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और चीन के रिश्तों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। जानिए, इस फैसले का भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग पर क्या असर पड़ेगा।
फॉक्सकॉन (Img: Google)
New Delhi: ताइवान की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी फॉक्सकॉन की सब्सिडियरी युजहान टेक्नोलॉजी ने भारत से 300 चीनी इंजीनियरों को वापस बुला लिया है। यह दूसरी बार है जब कंपनी ने इतने बड़े स्तर पर चीन से आए इंजीनियरों को अपनी भारतीय यूनिट से हटाया है।
सूत्रों के मुताबिक यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन के रिश्ते में हाल ही में नरमी आई है। इससे पहले जुलाई की शुरुआत में भी फॉक्सकॉन को भारत में iPhone यूनिट से लगभग इतने ही इंजीनियरों और तकनीशियनों को वापस भेजना पड़ा था। अब तमिलनाडु में डिस्प्ले मॉड्यूल असेंबली यूनिट बना रही युजहान टेक्नोलॉजी को भी यही कदम उठाना पड़ा है।
तमिलनाडु में युजहान टेक्नोलॉजी करीब 13,180 करोड़ रुपये की लागत से डिस्प्ले मॉड्यूल असेंबली यूनिट बना रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए फॉक्सकॉन ने मई में स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में बताया था कि वह लगभग 1.5 अरब डॉलर का निवेश कर रही है। कंपनी का लक्ष्य अमेरिका द्वारा चीन पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी के बीच iPhone मैन्युफैक्चरिंग को धीरे-धीरे चीन से बाहर शिफ्ट करना है।
मामले से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, फॉक्सकॉन ने भारत सरकार को यह सूचना दी है कि जिन चीनी इंजीनियरों को असेंबली यूनिट और कंपोनेंट इकोसिस्टम सेटअप के लिए लाया गया था, उन्हें अब तुरंत वापस भेजा जा रहा है। इसके अलावा करीब 60 नए इंजीनियर्स को भारत भेजने की योजना भी रद्द कर दी गई है।
हालांकि फॉक्सकॉन ने इस फैसले की वजह आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि चीन तकनीक के हस्तांतरण और एडवांस्ड उपकरणों के निर्यात को रोकने की रणनीति अपना रहा है। यह भी माना जा रहा है कि यह कदम चीन के घरेलू हितों की सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में iPhone 17 लॉन्च होना है और इस फैसले से तमिलनाडु और कर्नाटक की यूनिट्स में असेंबली कार्य प्रभावित हो सकता है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल उत्पादन पर इसका बड़ा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि लोकल वर्कफोर्स और वैकल्पिक सप्लाई चेन उपलब्ध है।
दिलचस्प बात यह है कि इंजीनियरों को वापस बुलाने की खबर ऐसे समय आई है जब दोनों देशों के रिश्ते में सुधार देखा जा रहा है। हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग ई भारत दौरे पर आए थे और उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल से मुलाकात की थी। दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने और व्यापारिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई थी। चीन ने भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट और उर्वरक की सप्लाई फिर से शुरू करने का भरोसा भी दिया है।