

सरकार के ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 से गेमिंग इंडस्ट्री में हलचल मच गई है। 2 लाख नौकरियों, 25,000 करोड़ निवेश और 20,000 करोड़ टैक्स कलेक्शन पर खतरा बताया जा रहा है। गेमिंग फेडरेशन ने बिल को डिजिटल इंडिया के लिए नुकसानदायक बताया और हस्तक्षेप की मांग की है।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
New Delhi: सरकार द्वारा ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लाए गए प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद, ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया है। इस बिल के चलते न सिर्फ इंडस्ट्री के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि करीब 2 लाख नौकरियों और 25,000 करोड़ के निवेश पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
सरकार का कहना है कि यह बिल उन प्लेटफॉर्म्स पर सख्ती करेगा जो ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके तहत डिजिटल और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बेटिंग ऐप्स के विज्ञापनों पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी और ऐसे ऐप्स का प्रचार करने वाले सेलेब्रिटी और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस पर ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडियन फंतासी स्पोर्ट्स (FIFS) ने कड़ा ऐतराज जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। उन्होंने बिल पर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है और सरकार से इस मुद्दे पर बैठक करने का अनुरोध किया है।
AIGF ने सरकार को भेजे गए पत्र में चेतावनी दी है कि अगर भारतीय रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया गया, तो करोड़ों गेमर्स अवैध और असुरक्षित विदेशी प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख करेंगे। इससे न केवल यूज़र्स की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी, बल्कि यह भारत की डिजिटल इकोनॉमी को भी नुकसान पहुंचाएगा।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से 4 लाख कंपनियां प्रभावित हो सकती हैं, जिनमें से कई स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय हैं। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार को इस इंडस्ट्री से हर साल लगभग 20,000 करोड़ रुपये का टैक्स रेवेन्यू प्राप्त होता है, जो इस कानून से कम हो सकता है।
गेमिंग फेडरेशन का दावा है कि भारत में ऑनलाइन स्किल गेमिंग का बाजार 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का मूल्यांकन रखता है और यह क्षेत्र प्रति वर्ष 20% की दर से बढ़ रहा है। 2028 तक इसके दोगुना होने की उम्मीद है। देश में 2020 में 36 करोड़ से बढ़कर 2024 में 50 करोड़ से अधिक गेमर्स हो चुके हैं।
फेडरेशन ने यह भी कहा कि यह इंडस्ट्री प्रधानमंत्री मोदी के 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी के सपने को साकार करने में योगदान दे सकती है। लेकिन यदि सरकार ने बिल में आवश्यक संशोधन नहीं किए, तो यह सेक्टर भारी नुकसान की ओर बढ़ सकता है।
अब देखना यह है कि सरकार इस विरोध के बाद बिल में कुछ संशोधन करती है या नहीं। फिलहाल, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां और इससे जुड़े लाखों लोग अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं।