

ट्रंप ने पीएम मोदी से व्यापार और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने दावा किया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। भारत ने ट्रंप के बयान को खारिज किया और कहा ऊर्जा खरीद का निर्णय राष्ट्रीय हित और बाज़ार पर आधारित है।
ट्रंप ने बताया पीएम मोदी से हुई व्यापार पर चर्चा
Washington: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 22 अक्टूबर को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यापार से जुड़े मुद्दों पर बात की। व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने पीएम मोदी को बेहतरीन इंसान और अपने अच्छे दोस्त बताया। उन्होंने भारतवासियों को दिवाली की शुभकामनाएं भी दीं।
ट्रंप ने कहा, "मैं भारत के लोगों को अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। आज मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात हुई। हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही। वह शानदार व्यक्ति हैं और समय के साथ मेरे अच्छे मित्र बन गए हैं। हमने कई मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन मुख्य रूप से व्यापार पर बात हुई।"
ट्रंप और पीएम मोदी की बातचीत ऐसे समय में हुई जब एक दिन पहले ही ट्रंप ने फिर दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कहा कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि भारत ऐसा नहीं करता है, तो उसे भारी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
इस बारे में ट्रंप ने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की और उन्होंने कहा कि भारत अब रूसी तेल का सौदा नहीं करेगा।" हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज किया और स्पष्ट किया कि दोनों नेताओं के बीच इस मुद्दे पर कोई फोन कॉल नहीं हुई।
रूस से तेल खरीद पर दिया बड़ा बयान
भारत ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि उसकी ऊर्जा खरीद का निर्णय पूरी तरह से बाज़ार की स्थिति और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है, न कि किसी राजनीतिक दबाव पर। भारत ने यह भी दोहराया कि उसका मुख्य उद्देश्य अपने नागरिकों के लिए सस्ती और स्थायी ऊर्जा सुनिश्चित करना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान अमेरिका-भारत के बीच चल रही ट्रेड डील के दौरान आया है। अमेरिका ने भारतीय आयात पर 50% तक का शुल्क लगाया हुआ है, जिसमें 25% अतिरिक्त शुल्क अगस्त में रूस से तेल खरीद को लेकर शामिल था।
ट्रंप बार-बार रूस से तेल खरीद को लेकर बयान दे रहे हैं। उनके अनुसार, अगर भारत रूस से तेल खरीद जारी रखता है तो अमेरिका उसे भारी टैरिफ लगाता रहेगा। इससे वैश्विक ऊर्जा बाजार और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर पड़ सकता है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपने राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णय ले रहा है। ऊर्जा आयात और व्यापार नीतियों में यह संतुलन बनाए रखना भारत की प्राथमिकता है।